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२ . - - - - - - .. .. . - -... .- भगवतीस 'कषायश्च :अत्रापि चत्तारो भंगाः; स्यात् तिक्तश्च कपायश्चेति 'प्रथम!-१, स्यात् ''तिक्तश्च कषायाश्वेति द्वितीयः २, स्यात् तिक्ताश्त्र कायश्वेति तृतीयः ३, स्यात् तिक्ताश्च कषायाश्चेति चतुर्थः ४) एवं सिय वित्तए य अमिलए य' स्यात् तिक्तश्च अम्लच, अनापि पूरीत्या चत्वारो भङ्गाः कर्तव्याः ४, 'सिय वित्तए “य म्हुरए य' स्यात्-तिक्तश्व मधुश्त्र, अत्रापि चत्वारो भङ्गा कर्त्तव्याः ४, 'सिय तित्तए य कसाए य १, सिय तित्तए य कलाया य२, सिय तित्तया य कसाए य ३, सिय तित्तयाय कलाथा : य.४':अथवा वह तिक्तरस वाला और कषायले रस. वाला हो सकता है १ अथवा-वह एकप्रदेश में तिक्तरस वाला और दूसरे पांच प्रदेशों में कषायले रस वाला हो सकता है २ अधवा पांच प्रदेशों में वह तिक्त रस वाला और एक प्रदेश में कषायले रस वाला हो सकता है. ३. अथवा अनेक प्रदेशों में '-३ तीन प्रदेशों में सिक्तरस वाला और तीन प्रदेशों में कषायले.रस वाला हो सकता है । इसी प्रकार से-'सिय तित्तएच अमिलए य १' कदाचित् वह तिक्तरस वाला और अम्लरस वाला हो सकता है १. सिय तित्तए य अमिलगाय २' एक प्रदेश में वह तितरल वाला और अनेक प्रदेशों में अलरस वाला हो सकता है २ 'लिय तित्तया य अमिलए थ' अनेक प्रदेशों में यह तिक्तरस वाला और एक प्रदेश में अम्लरस वाला हो सकता है ३-'लिया मित्तया य अमिलगाय' अनेक प्रदेशों में तिक्तरस वाला और अनेक प्रदेशों में अलरल वाला हो सकता है ४ 'सिय तित्तए य य २' मा त मे प्रदेशमा तीमा २वा मन माडीना पांय प्रशामा पाय-तुशरसपाण-हाय छ. २ 'सिय तित्तगा य फसाए-य ३' मा पोताना પાંચ પ્રદેશમાં તે તીખા રસવાળા હોય છે. અને એક પ્રદેશમાં કષા–સુરા २५पाना है।य छे. 3 'सिय तित्तया य कसाया य ४' अथवा भने प्रदेशाभी તુ ત્રણ પ્રદેશમાં તીખા રસવાળ હોય છે અને ત્રણ પ્રદેશોમાં કષાચ-તુરા २सवाणे खाय छ, ४ मे १२ 'सिय तितए.य अमिला य १' वर ते तामा रसवाणी मने -माटर २संवाणे डाय छ- 'सिय तित्तए य अमिलगा य २' में प्रदेशमा ते..तीमा २सवाणा भने भने प्रदेशमा माटर रसंवाने य छे. २ 'सिय तित्तया य आमिलए य ३' भने प्रदेशमा तीमा રસવાળો હોય છે. અને એક પ્રદેશમાં અમ્લ-ખાટા રસવાળું હોય છે. ૩ 'सिय तित्तश य अमिलगा य ४ मने प्रशामा तीमा २सपाणां तथा मन