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प्रमैयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू०५ सप्तप्रदेशिकस्कन्धस्य वर्णादिनि० ७७१, वाला, एक देश में शीत स्पर्शवाला और एकदेश में उष्ण स्पर्शवाला हो सकता है १, अथवा-लाश में स्निग्ध स्पर्शवाला, एकदेश में शीत स्पर्शवाला और अनेक देशों में उष्ण स्पर्शवाला हो सकता है २. अथवा-सर्वांश में स्निग्ध स्पर्शवाला, अनेक देशों में शीत स्पर्शवाला
और एकदेश में उच्या स्पर्शचाला हो सकता है ३ अथवा सर्वांश में स्निग्ध स्पर्शवाला, अनेक देशों में शीत स्पर्शवाला और अनेक देशों में उष्ण स्पर्शवाला हो सकता है ४ तथा-सर्व रूक्षा देशः शीतः देशा उष्णः १, सर्व लक्षा, देशः शीतः, देशाः उष्णाः २, सर्व रूक्षा, देशाः शीता, देशः उष्णः ३, सर्वः रूक्षा, देशा शोताः, देशाः उष्णाः ४' ये ४ भंग रक्षस्पर्श की मुख्यता में होते हैं इनके अनुसार वह ससप्रदेशिक स्कन्ध सर्वांश में रूक्ष स्पर्शवाला एकदेश में शीत. स्पर्शवाला
और एकदेश में उरुण स्पर्शवाला हो सकता है १ अथवा-सर्वाश में रूक्ष स्पर्शवाला एकदेश में शीत स्पर्शवाला और अनेक देशों में उष्ण स्पर्शवाला हो सकता है २, अथवा-सर्वाश में रूक्ष पर्शवाला, अनेक. देशों में शीत रूपशवाला और एकदेश में उष्ण स्पर्शवाला हो सकता है ३ अथवा-सर्वाश में वह रूक्ष स्पर्शवाला, अनेक देशों में शीत स्पर्श वाला और अनेक देशों में उष्ण स्पर्शवाला हो सकता है ४, ये १६ भंग त्रिस्पर्श के विषय में यहां पर होते हैं । દેશમાં શીત-ઠંડા સ્પર્શવાળ હોય છે. કેઈ એક દેશમાં ઉણુ સ્પર્શવાળો डाय छे. 3 'सर्वः स्निग्धा देशाः शीताः देशा उष्णाः ४' अथवा सशिमia નિશ્વ સ્પર્શવાળો, અનેક દેશોમાં ઠંડા સ્પર્શવાળે અને અનેક દેશોમાં ઉણ સ્પર્શવાળ હેય છે. ૪ હવે રૂક્ષ સ્પર્શની મુખ્યતામાં જે ચાર ભંગ થાય छ त मतावामां आवे छे.-'सर्वेः रूक्षः देशः शीतः देश उष्णः १ ते सात પ્રદેશવાળ સ્કધ સર્વાશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળો હોય છે. એકદેશમાં ઠંડા २५शपाजो मत २४ देशमा ] २५शवाणी डाय छे १ 'सर्वः वक्षः देशः शीतः देशा उष्णाः २' अथवा सशिम ते ३५शवाणे सोशमा स्पशवाणे भने मन BY स्पशवाणा हाय छे. २ 'सर्वः लक्षः देशाः शीताः देश उपा३' अथवा सर्वा शमां ते ३क्ष स्पशवाणी हाय. અનેક દેશોમાં ઠંડા સ્પર્શવાળો હોય છે કે એક દેશમાં ઉષ્ણુ સ્પર્શવાળો डाय छे. 3 'सर्वः रूक्षः देशाः शीताः देशा उष्णा:४' मथवा सशिम a રૂક્ષ સ્પર્શવાળ હોય છે. અનેક દેશમાં શીત-ઠંડા સ્પર્શવાળો અને અનેક દેશમાં ઉsણ સ્પર્શવાળો હોઈ શકે છે. ૪ આ પ્રમાણે ૧૬ ભંગ ત્રણ સ્પના વિષયમાં અહિયાં થાય છે.