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भंगवतीसूत्र शान् उच्चार्य स्यात् कालश्च नीलाश्च लोहिताश्च हारिद्राश्च शुक्लश्च १५ । 'एसो पन्नरसमो भंगो' एषः पञ्चदशो भङ्गः । ततः परं स्यात् कालाश्च नीलच लोहिनश्च हारिद्रश्च शुक्लश्चेति षोडशः १६ । स्यात् कालाश्च नीलश्च लोहितश्च हारिद्रश्च शुक्लाश्चेति सप्तदशः १७ । स्यात् कालाश्च नीलश्च लोहितश्च हारि. प्रदेश लोहित वर्णवाले, एक प्रदेश पीले वर्णवाला, और अनेक प्रदेश शुक्ल वर्णवाले हो सकते है १४, इन १४ भंगों को कहने के बाद फिर इन भंगों को कहना चाहिए-'स्थात् कालश्च, नीलाश्च, लोहिताश्च, हारिद्राश्च, शुक्लश्च १५' एक प्रदेश उसका कृष्ण वर्णवाला हो सकता है, अनेक प्रदेश उसके नीले वर्णवाले हो सकते हैं, अनेक प्रदेश लोहित वर्णवाले हो सकते हैं, अनेक प्रदेश पीले वर्णवाले हो सकते हैं और एक प्रदेश शुक्ल वर्णवाला हो सकता है १५ 'एसो पन्नरसमो भंगो' यह पंद्रहवां अंग है, इसके बाद ऐसा कहना चाहिये-'स्थात् कालाव, नीलश्च, लोहितश्च, हारिद्रश्च, शुक्लश्च १६' उसके अनेक प्रदेश कृष्ण वर्णवाले हो सकते हैं, एक प्रदेश नीले वर्णवाला, हो सकता है, एक प्रदेश उसका लोहित वर्णवाला हो सकता है, एक प्रदेश उसका पीले वर्णवाला हो सकता है और एक प्रदेश उसका शुक्ल वर्णवाला हो सकता है १६, अथवा स्यात् कालाब, नीलश्च, लोहितश्च, हारिप्रश्च, शुक्लाश्च १७ अनेक प्रदेश उसके कृष्ण वर्णवाले, एक प्रदेश नीले वर्णवाला, एक प्रदेश लोहित वर्णवाला, एक प्रदेश पीले वर्णवाला और अनेक प्रदेश शुक्ल वर्णवाले हो सकते हैं १७, अथवा स्यात्
मा प्रभायेन मान-'स्यातू कालश्च नीलाश्च लोहिताश्च हारिद्राश्च शुक्लश्च१५' तना से प्रदेश अणा पाणी भने प्रदेशी नामा અનેક પ્રદેશો લાલ વર્ણવાળા અનેક પ્રદેશ પીળા વર્ણવાળા તથા કઈ એક प्रदेश स व वाणी डाय छे. १५ 'एस्रो पन्नरसमो भंगो' मा ५२म। . छ. 'स्यात् कालाश्च, नीलश्च, लोहितश्च, हारिद्रश्च शुक्लश्च १६ तना અનેક પ્રદેશ કાળા વર્ણવાળા હોઈ શકે છે. કેઈ એક પ્રદેશ નીલ વર્ણવાળો કોઈ એક પ્રદેશ લાલ વર્ણવાળ એક પ્રદેશ પીળા વર્ણવાળ અને કઈ એક प्रदेश सह पाजो डाय छे. १६ अथवा स्यात् कालाश्च, नीलश्च, लोहितश्च हारिद्रश्च शुक्लाश्च१७' तना भने प्रदेश ४ वाणा मे પ્રદેશ લાલ વર્ણવાળો એક પ્રદેશ પીળા વર્ણવાળે અને અનેક प्रदेश सह पाडाय छे. १७ मा 'स्यात् कालाश्च नीलश्च