Book Title: Bhagwati Sutra Part 13
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 938
________________ भगवतीसूत्रे गुरुलघुभ्यां शेषैः षडुभिः सह अष्टाविंशत्यधिकं शतम् । एवमेत्र शीतोष्णाभ्यामपि अष्टाविंशत्यधिकं शतम् एवं स्निग्धरूक्षाभ्यामपि अष्टाविंशत्यधिकं शतं भवति, तदेवम् अष्टाविंशत्युत्तरं शतस्य चतुः संख्यया गुणने ५१२ द्वादशाधिकानि पञ्चशतानि भङ्गानां भवन्तीति । 'ज अफासे' यदि अष्टस्पर्शस्तदा वक्ष्यमाणप्रकारेण भङ्गा भवन्ति, तथाहि - 'देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे' देशः कर्कशी देशो मृदुको देशी गुरुको देशो लघुको देश: शीतो देश उष्णो देशः स्निग्वो देखो रूक्षो भवति १, देशः वर्कशो देशी मृदुको उष्ण स्पर्श के साथ शेष पद्दों को युक्त करके और उनमें एकत्व और अनेक की विरक्षा करके १२८ भंग बन जाते हैं, तथा इसी प्रकार से स्निग्ध और रुक्ष स्पर्श की मुख्यता करके और उनके साथ शेष पदों का योग करके एवं उनमें एकत्व और अनेकत्व विवक्षित करके १२८ भंग बन जाते हैं, इन सब को जोडकर ५१२ भंग हो जाता है । 'जह अफासे' यदि वह बादरपरिणत अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध आठ स्पर्शो वाला होता है, तब इस प्रकार से उसमें भङ्ग होते हैं जैसे 'देसे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देते लहुए, देसे सीए, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे' उसका एकदेश कर्कश, एकदेश मृदु, एकदेश गुरु, एकदेश लघु, एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है १ द्वितीय भंग इस प्रकार से है સ્પર્ધાની સાથે બાકીના પદ્માને ચાજીને ૧૨૮ એકસેા અયાવીસ ભગા ખની જાય છે. તથા એજ પ્રકારથી સ્નિગ્ધ અને રૂક્ષ સ્પર્શની મુખ્યત્તાથી અને બાકીના પદે તેની સાથે ચેાજવાથી અને તેમાં એકપણા અને અનેકપણાની યાજના કરવાથી ૧૨૮ એકસેા અઠયાવીસ ભગા ખની જાય છે. આ બધા ભગો કુલ મળીને ૫૧૨ પાંચસે ખાર થઈ જાય છે. 'जइ अट्ठफासे' ने ते महर परिवृत अनन्त प्रदेशवा जो संबंध आहे સ્પર્શીવાળા હોય તે તે આ પ્રમાણેના આઠ સ્પર્શીવાળા હાઇ શકે છે તેના लगना अठार भा प्रभा छे. प्रेम-' देखे कक्खडे, देसे मउए, देसे गरुए, देसे लहुए, देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे' ते पोताना भे. દેશમાં કર્કશ, એકદેશમાં મૃદુ એકદેશમાં ગુરૂ એકદેશમાં લઘુ એકદેશમાં શીત, એકદેશમાં ઉષ્ણ એકદેશમાં સ્નિગ્ધ અને એકદેશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળા હાય છે. આ પહેલેા લગ છે. ? અથવા ' देशः कर्कशः देशः मृदुकः देशो गुरुकः देशों

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