Book Title: Bhagwati Sutra Part 13
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 943
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ. ५ सू०९ अनन्तप्रदेशिके सप्तास्पर्शगत भङ्गनि० ९१५ चतुest चतुर्थी भङ्गस्तदेवं तृतीयचतुष्कः । 'देसे कवडे देसे मउपदेसे गरुर देसे लहुए देना सीया देता उमिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे४' देशः कर्कशो देशी मृदुको देशी गुरुको देशी लघुको देशाः शीताः देशा उष्णा देशः रितम्धो देशो रूक्ष इति चतुर्थचतुष्कस्य प्रत्रनो भङ्गः १, देश: कर्कशो देशी मृदुको देशी गुरुको देशी लघुको देशाः शीता देशा उष्णाः देशः स्निग्धो देशाः रूक्षा इति चतुर्थचतुष्कस्य द्वितीयो मतः, देशः कर्कशो देशो मृदुको देशी गुरुको देशो लघुको देशाः शीताः देशा उष्णाः देशाः स्निग्धाः देशो रूक्ष इति चतुर्थचतुष्कस्य चतुष्क इस प्रकार से है - 'देसे फक्खडे, देसे भउए, देसे गरुए, देखे लहुए, देखा लीया, देखा उक्षिणा, देखे निहे, देते लुक्खे १' यह इलका प्रथम भंग है इसके अनुसार वह एकदेश में कर्कश, एकदेश में मृदु, एकदेश में गुरु, एकदेश में लघु, अनेक देशों में शीत, अनेक देशों में उष्ण, एकदेश में स्निग्ध और एकदेश में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है १ इसका द्वितीय भंग इस प्रकार से है- 'देश: कर्कशः, देशो मृदुकः, देशी गुरुकः, देशी लघुकः, देशाः शीता', देशा उष्णा', देशः स्निग्धः, देशाः रूक्षाः २' इसके अनुसार वह एकदेश में कर्कश, एकदेश में मृदु, एकदेश में गुरु, एकदेश में लघु, अनेक देशों में शीत, अनेक देशों में उष्ण, एकदेश में स्निग्ध, और अनेक देशों में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है २, इसका तृतीय भङ्ग इस प्रकार से है- 'देश: कर्कशः, देशो मृदुकः, देशी गुरुकः, देशी लघुकः, देशाः शीताः, देशा उष्णाः, देशाः स्निग्धाः, देशो रूक्षः ३' इसके अनुसार वह एकदेश में कर्कश, एकदेश में मृदु, शीना अगो मताववामां आवे छे. - ' देखे कक्खडे देखे मउए देसे गरुए देखे लहुए देखा सीया, देसा उक्षिणा, ऐसे निद्धे देखे लुक्खे१' अथवा ते पोताना એકદેશમાં ક શ એકદેશમાં મૃદુ એકદેશમાં શુરૂ એકદેશમાં લઘુ એકદેશમાં શીત એકદેશમાં ઉષ્ણુ એકદેશમાં સ્નિગ્ધ અને એકદેશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળા होय छे. आ थोथी अतुल जीना पड़े। लंग हे १ अथवा ते ' देशः कर्कशः देशो मृदुः देशो गुरुः देशो लघुकः देशाः शीताः देशा उष्णाः देशः स्निग्वः देशो रूक्ष २' घेताना शमांश उद्देशमां भृहु उद्देशमां गुड् એકદેશમાં લઘુ અનેક દેશેામાં શીત અનેક દેશેમાં ઉષ્ણુ એકદેશમાં સ્નિગ્ધ અને એકદેશમાં રૂક્ષ પશવાળા જાય છે. આ ચેાથી ચતુભ''ગીના ખીન્ને लंग छे. २ अथवा ते 'देशः कर्कशः देशों मृदुको देशो गुरुकः देशो लघुः देशाः शीताः देशा उष्णाः देशाः स्निग्धाः देशो रूक्षः ३' पोताना देशमां श

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