Book Title: Bhagwati Sutra Part 13
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 941
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ.५२०९ अनन्तप्रदेशिक सप्ताप्टस्पर्शगतभङ्गनि० ९१३. ३, देशः कर्कशः देशो मृदुको देशो गुरुको देशो लघुको देशः शीतो देशा उष्णा देशाः स्निग्धाः देशाः रूक्षा इति द्वितीयचतुच्कस्य चतुर्थों नङ्गः ४ । 'देसे कक्ख ढे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देसे निढे देते रुक्खे देशः कर्कशो देशो मृदुको देशो गुरुको देशो लयुको देशाः शीताः देश उच्णो देशः स्निग्धो देशो रूक्ष इति तृतीपचतकस्य प्रथमो भङ्गः १, देशः कर्कशो देशो मृदुको देशो गुरुको देशो लघु को देशाः शीवाः देश उष्णो देश. स्निग्धो देशाः मृदु, देश में गुरु, देश में लघु, देश में शीत, अनेक देशों में उष्ण, अनेक देशों में स्निग्ब और एकदेश में रूक्ष स्पर्श स्पर्शराला हो सकता है इसका चतुर्थ भंग इस प्रकार से है-'देशः कर्कशा. देशः हतुका, देशो गुरुका, देशो लघुका, देशः शीतः, देशा उष्णाः, देशाः स्निग्धाः, देशाः रुक्षाः ४' हलके अनुसार वह एकद्देश में कर्कश, एकदेश में मृदु, एकदेश में गुरू, एकदेश में लघु, एकदेश शील, अनेक देशों में उष्ण, अनेक देशों में स्निग्ध, और अनेक देशों में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है 'देसे काखडे, देसेसउए, देले रुए, देसे लहए, देला सीया, देसे उलिणे, देले निद्धे, देसे रुक्खे' यह तृतीय चतुष्क का प्रथम भंग है, इसके अनुसार वह एकदेश में कर्कश, एकदेश में स्मृदु, एकदेश में गुरू, एकदेश लघु, अनेक देशों में शीत, एशदेश में उष्ण, एकदेश में स्निग्ध, और एकदेश में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है, इसका वितीय भंग इस प्रकार से है-'देशः फर्कशा, देशो मृदुका, એકદેશમાં શીત અનેક દેશોમાં ઉણ અનેક દેશમાં સ્નિગ્ધ અને એકદેશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળ હોય છે, આ બીજી ચતુર્ભાગીને ત્રીજો ભંગ છે. ૩ मया ते 'देशः कर्कशः देशः मृदुकः देशो गुरुकः देशो लघुकः देशः शीतः देशा उष्णाः देशाः स्निग्धाः देशाः रुक्षाः४' पाताना मेहेशमा ४४° शमा मुड એકદેશમાં ગુરૂ એકદેશમાં લઘુ એકદેશમાં શત અનેક દેશમાં ઉષ્ણ અનેક દેશમાં સ્નિગ્ધ અને અનેક દેશોમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળો હોય છે આ બીજી ચતુર્ભગીને ચે ભંગ છે, હવે ત્રીજી ચતુર્ભગીના ભંગ બતાવવામાં भाव छ.-'देसे कक्खडे, देसे मउर देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया, ऐसे उसिणे देसे निद्धे देसे रुक्खे१चताना महेशमा श शभा भूई એકદેશમાં ગુરૂ એકદેશમાં લઘુ અનેક દેશમાં શીત એકદેશમાં ઉણું એકદેશમાં નિગ્ધ અને એકદેશમાં રૂક્ષ સ્પર્શવાળો હોય છે. આ ત્રીજી ચતુ. गाना पडेती ग छ. १ अथवा त 'देशः कर्कशः देशो मृदुकः देशो गुरुका भ० ११५

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