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वाईस .
व्याख्यान
सत्ताईसवाँ
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४०३
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४०६
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विषय युक्ति से चोर को पकड़नेवाले सेठ की बात ३९७ मिथ्यात्व को दूर करो
३९६ कर्मबन्ध और उसके कारणो पर विचार (२) ४०० विरति का अर्थ
४०० अविरति का त्याग आवश्यक क्यो
४०१ पाप करने की आजादी भी पाप है
४०२ तीन प्रकार के पुरुष पाप से दुःख और पुण्य से सुख
४०४ विरति के दो प्रकार
४०४ पाप प्रवृत्ति पर भिखारी का दृष्टान्त अठारह पाप स्थानक
४०७ सुबंधु की कथा
४०८ कषाय
४०९ योग कर्म-बध और उसके कारणों पर विचार (३) ४१५ ज्ञानावरणीय और दर्शनावरणीय कम-बंध
के कारण ४१७ मोहनीय कर्मबंध के विशेष कारण
४१८ सागर सेठ की कथा अन्तराय कर्म-बधन के विशेष कारण
४२५ वेदनीय कर्म-बंधन के विशेष कारण आयुष्य-कर्म-बधन के विशेष कारण
४२७ नाम-कर्म का बन्ध करनेवाले विशेष कारण ४३० गोत्र-कर्म-बन्धन के विशेष कारण आठ करण
४३२
४१३
अट्ठाइसवाँ
४२०
४२६
४३०
उनतीसवाँ