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जीवन
एक व्यक्ति ने पूछा-आज के युग की सबसे बड़ी बीमारी क्या है? मैंने कहा-कोरा वैज्ञानिक होना और आध्यात्मिक न होना वर्तमान युग की सबसे बड़ी बीमारी है। व्यक्ति की इसी मनोवृत्ति ने बहुत सारी बीमारियों को जन्म दिया है। योगक्षेम वर्ष का मुख्य सूत्र रहा-आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व का निर्माण। न कोरा वैज्ञानिक और न कोरा आध्यात्मिक। ऐसे व्यक्तित्व की निर्मिति, जो आध्यात्मिक भी हो और वैज्ञानिक भी हो। यह वर्तमान युग की सबसे बड़ी अपेक्षा है और युगीन समस्याओं का सबसे बड़ा समाधान । इसकी संपूर्ति का माध्यम है प्रेक्षाध्यान । इसके लिए आवश्यक है जीवन को समझना
और जीवन शैली को बदलना । जीवन की व्याख्या : सात तत्त्व
जीवन क्या है? यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। प्रेक्षाध्यान के संदर्भ में इस प्रश्न का विश्लेषण करना चाहता हूं। जीवन की व्याख्या के सात सूत्र हैं
१. शरीर
५. भाव २. श्वास
६. कर्म ३. प्राण
७. चित्त चेतना ४. मन
इन सबका संयुक्त नाम है जीवन । हम किसी एक कोण से जीवन की व्याख्या करें तो वह पूर्ण नहीं होगी। जीवन की समग्र परिभाषा के लिए इन सात बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। प्रेक्षाध्यान में इन सातों बिन्दुओं पर विचार और प्रयोग किया गया है।
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