________________ और वृत्तिकार ने चतुर्दशपूर्वी किया है किन्तु उनमें स्थविर का नाम नहीं आया है। विज्ञों का अभिमत है कि यहाँ पर स्थविर शब्द का प्रयोग चतुर्दशपूर्वी भद्रबाहु के लिए ही हुआ है। आचारांग के गम्भीर अर्थ को अभिव्यक्त करने के लिए "आचारचूला" का निर्माण हुआ है / नियुक्तिकार ने पांचों चूलाओं के निर्यहूणस्थलों का संकेत किया है। दशवकालिक चतुर्दशपूर्वी शय्यंभव के द्वारा विभिन्न पूर्वो से नि!हण किया गया है / जैसे-चतुर्थ अध्ययन आत्मप्रवाद पूर्व से, पंचम अध्ययन कर्मप्रवाद पूर्व से, सप्तम अध्ययन सत्यप्रवाद पूर्व से और शेष अध्ययन प्रत्याख्यान पूर्व की तृतीय वस्तु से उद्धत किये गये हैं।' द्वितीय अभिमतानुसार दशवकालिक गणिपिटक द्वादशांगी से उद्धृत है। निशीथ का नि! हण प्रत्याख्यान नामक नौवें पूर्व से हुआ है। प्रत्याख्यान पूर्व के बीस वस्तु अर्थात् अर्थाधिकार हैं। तृतीय वस्तु का नाम आचार है। उसके भी बीस प्राभृतच्छेद अर्थात् उपविभाग हैं। बीसवें प्राभूतच्छेद से निशीथ का नि' हण किया गया है। पंचकल्पचूणि के अनुसार निशीथ के निर्यु हक भद्रबाहुस्वामी है। इस मत का समर्थन प्रागमप्रभावक मुनिश्री पुण्यविजयजी ने भी किया है। 1. "स्थविरैः" श्रुतवृद्धश्चतुर्दशपूर्वविद्भिः / 2. बिमस्स य पंचमए, अट्ठमगस्स बिइयंमि उद्देसे / भणिओ पिडो सिज्जा, वत्थं पाउग्गहो चेव / / पंचमगस्स चउत्थे इरिया, वणिज्जई समासेणं / छुट्ठस्स य पंचमए, भासज्जायं वियाणाहि / सत्तिक्कगाणि सत्तवि, निज्जढाई महापरिन्नाओ। सत्थपरिन्ना भावण, निज्जूढानो धुयविमुत्ती / / आयारपकप्पो पुण, पच्चक्खाणस्स तइयवत्थूप्रो। आयारनामधिज्जा, वीसइमा पाहुडच्छेया // -प्राचारांगनियुक्ति गा० 288-291 3. पायप्पवाय पुब्वा निज्जूढा होइ धम्मपन्नती। कम्पप्पवाय पुब्बा पिंडस्स उ एसणा तिविधा / / सच्चय्पवाय पुव्वा निज्जूढा होइ बक्कसुद्धी उ / अवसेसा निज्जढा नवमस्स उ तइयवत्थूयो। -दशवकालिकनियुक्ति गा० 16-17 बीमोऽवि अ आएसो, गणिपिडगाओ दुवालसंगायो। एअं किर णिज्जूढं मणगस्स अणुगाहटाए / - दशवकालिकनियुक्ति गा. 18 णिसीहं णवमा पुब्वा पच्चक्खाणस्स ततियवत्थूओ। आयार नामधेज्जा, वीसतिमा पाहुडच्छेदा / —निशीथभाष्य 6500 6. लेण भगवता आयारपकप्प-दसा-कप्प-ववहारा य नवमपुबनीसंदभूता निज्जूढा / --पंचकल्पचूणि, पत्र 1 (लिखित) 7. बृहत्कल्पसूत्र, भाग 6, प्रस्तावना पृ. 3 [42] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org