________________ वसवां उद्देशक] 20. अव्यंजनजात अर्थात् अप्राप्त यौवन वाले बालक भिक्षु या भिक्षुणी को आचारप्रकल्प नामक अध्ययन पढ़ाना निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को नहीं कल्पता है। 21. व्यंजनजात अर्थात् यौवन प्राप्त भिक्षु या भिक्षुणी को प्राचारप्रकल्प नामक अध्ययन पढ़ाना निर्ग्रन्थ और निग्रंन्थियों को कल्पता है। विवेचन-यहां पर आचारांगसूत्र और निशीथसूत्र को आचारप्रकल्प कहा गया है / इसका अध्ययन सोलह वर्ष से कम उम्र वाले साधु-साध्वी को कराने का निषेध किया गया है / इस विषयक संपूर्ण विवेचन निशीथ उद्दे. 19 सूत्र 20 में देखें / दीक्षापर्याय के साथ आगमों का अध्ययनक्रम 22. तिवास-परियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ आयारपकप्पे नाम अज्झयणे उद्दिसित्तए। 23. चउवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ सूयगडे नाम अंगे उद्दिसित्तए / 24. पंचवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ दसा-कप्प-ववहारे उद्दिसित्तए / 25. अट्ठवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ ठाण-समवाए उद्दिसित्तए। 26. दसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ वियाहे नामं अंगे उद्दिसित्तए। 27. एक्कारसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ खुड्डिया विमाणपविभत्ती, महल्लियाविमाणपविभत्ती, अंगचूलिया, वग्गचूलिया, वियाहचूलिया नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए। 28. बारसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ अरुणोववाए, वरुणोववाए, गरुलोववाए, धरणोक्वाए, वेसमणोववाए, वेलंधरोववाए, नामं अज्मयणे उद्दिसित्तए / 29. तेरसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ उट्ठाणसुए, समुट्ठाणसुए, देविवपरियावणिए, नागपरियावणिए नाम अज्झयणे उहिसित्तए / 30. चोदसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ सुमिणभावणानाम अज्झयणे उद्दिसित्तए। 31. पन्नरसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पइ चारणभावणानाम अज्झयणे उद्दिसित्तए। 32. सोलसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पा तेयणिसग्गे नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org