________________ 436 [व्यवहारसूत्र प्रतिकूल परोषह एवं उपसर्ग ये हैं किसी दण्ड, हड्डी, जोत, बेंत अथवा चाबुक से शरीर पर प्रहार करे। वह इन सब अनुकूल-प्रतिकूल उत्पन्न हुए परीषहों एवं उपसगों को प्रसन्न या खिन्न न होकर समभाव से सहन करे, उस व्यक्ति के प्रति क्षमाभाव धारण करे, वीरतापूर्वक सहन करे और शांति से आनन्दानुभाव करते हुए सहन करे।। यवमध्यचन्द्रप्रतिमा के आराधक अणगार को, शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन आहार और पानी की एक-एक दत्ति ग्रहण करना कल्पता है। आहार की आकांक्षा करने वाले सभी द्विपद, चतुष्पद आदि प्राणी आहार लेकर लौट गये हों तब उसे अज्ञात स्थान से शुद्ध अल्पलेप वाला आहार लेना कल्पता है। ____ अनेक श्रमण यावत् भिखारी आहार लेकर लौट गये हों अर्थात् वहां खड़े न हों तो आहार लेना कल्पता है। ___ एक व्यक्ति के भोजन में से आहार लेना कल्पता है, किंतु दो, तीन, चार या पांच व्यक्ति के भोजन में से लेना नहीं कल्पता है / गर्भवती, छोटे बच्चे वाली और बच्चे को दूध पिलाने वाली के हाथ से आहार लेना नहीं कल्पता है। दाता के दोनों पैर देहली के अन्दर हों या बाहर हों तो उससे आहार लेना नहीं कल्पता है / यदि ऐसा जाने कि दाता एक पैर देहली के अन्दर और एक पैर देहली के बाहर रखकर देहली को पैरों के बीच में करके दे रहा है तो उसके हाथ से आहार लेना कल्पता है। शुक्लपक्ष के द्वितीया के दिन प्रतिमाधारी अणगार को भोजन और पानी की दो-दो दत्तियां लेना कल्पता है। तीज के दिन भोजन और पानी की तीन-तीन दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। चौथ के दिन भोजन और पानी की चार-चार दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है / पांचम के दिन भोजन और पानी की पांच-पांच दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। छठ के दिन भोजन और पानी की छह-छह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है / सातम के दिन भोजन और पानी की सात-सात दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। पाठम के दिन भोजन और पानी की पाठ-आठ दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। नवमी के दिन भोजन और पानी की नव-नव दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है / दसमी के दिन भोजन और पानी की दस-दस दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है / ग्यारस के दिन भोजन और पानी की ग्यारह-ग्यारह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। बारस के दिन भोजन और पानी की बारह-बारह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। तेरस के दिन भोजन और पानी की तेरह-तेरह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। चौदस के दिन भोजन और पानी की चौदह-चौदह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। पूर्णिमा के दिन भोजन और पानी को पन्द्रह-पन्द्रह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है कृष्णपक्ष की प्रतिपदा के दिन भोजन और पानी की चौदह-चौदह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org