________________ सातवां उद्देशक] परिष्ठापन संबंधी अन्य जानकारी बृहत्कल्प उद्दे. 4 में देखें एवं विस्तृत जानकारी के लिए भाष्य का अवलोकन करें। परिहरणीय शय्यातर का निर्णय 21. सागारिए उवस्सयं ववकएणं पउंजेज्जा से य वक्कइयं वएज्जा---'इमम्मिय इमम्मिय प्रोवासे समणा णिग्गंथा परिवसंति / से सागारिए पारिहारिए। से य नो वएज्जा वक्कहए वएज्जा, से सागारिए पारिहारिए / दो वि ते वएज्जा, दो वि सागारिया पारिहारिया / 22. सागारिए उवस्सयं विक्किणेज्जा, से य कइयं वएज्जा'इमम्मि य इमम्मि य प्रोवासे समणा निग्गंथा परिवसंति', से सागारिए पारिहारिए / से य नो वएज्जा, कइए वएज्जा, से सागारिए पारिहारिए / वो वि ते वएज्जा, दो वि सागारिया पारिहारिया। 21. शय्यादाता यदि उपाश्रय किराये पर दे और किराये पर लेने वाले को यह कहे कि-- 'इतने-इतने स्थान में श्रमण निर्ग्रन्थ रह रहे हैं।' इस प्रकार कहने वाला गृहस्वामी सागारिक (शय्यातर) है, अतः उसके घर आहारादि लेना नहीं कल्पता है। यदि शय्यातर कुछ न कहे, किन्तु किराये पर लेने वाला कहे तो वह शय्यातर है, अतः परिहार्य है। यदि किराये पर देने वाला और लेने वाला दोनों कहें तो दोनों शय्यातर हैं, अतः दोनों परिहार्य हैं। 22. शय्यातर यदि उपाश्रय बेचे और खरीदने वाले को यह कहे कि-'इतने-इतने स्थान में श्रमण निर्ग्रन्थ रहते हैं, तो वह शय्यातर है। अतः वह परिहार्य है। ___ यदि उपाश्रय का विक्रेता कुछ न कहें, किन्तु खरीदने वाला कहे तो वह सागारिक है, अतः वह परिहार्य है। यदि विक्रेता और क्रेता दोनों कहे तो दोनों सागारिक हैं, अतः दोनों परिहार्य हैं / विवेचन-भिक्षु जिस मकान में ठहरा हुआ है, उसका मालिक उसे किराये पर देवे या उसे बेच दे तो ऐसी स्थिति में भिक्षु का शय्यातर कौन रहता है, यह प्रस्तुत सूत्र में स्पष्ट किया गया है। यदि खरीदने वाला या किराये पर लेने वाला व्यक्ति भिक्ष को अपने मकान में प्रसन्नतापूर्वक ठहरने की आज्ञा देता हो तो वह शय्यातर कहा जाता है। यदि वह भिक्षु को ठहराने में उपेक्षाभाव रखता है एवं आज्ञा भी नहीं देता है। किन्तु मकान का पूर्व मालिक ही उसे भिक्षु के रहने का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org