________________ नवम उद्देशक] [419 दिया गया हो, वह घर के बाह्यभाग में जीमता हो, उस आहार में से वह साधु को दे तो लेना नहीं कल्पता है। 8. शय्यातर के दास, प्रेष्य, भतक और नौकर के लिए आहार बना हो, उसे अप्रातिहारिक दिया गया हो, वह घर के बाह्यभाग में जीमता हो, उस आहार में से वह साधु को दे तो लेना कल्पता है। 9. सागारिक (शय्यातर) का स्वजन सागारिक के घर में सागारिक के एक ही चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से आहार निष्पन्न कर जीवन निर्वाह करता है। यदि वह उस आहार में से निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को देता है तो उन्हें लेना नहीं कल्पता है। 10. सागारिक का स्वजन यदि सागारिक के घर में ही सागारिक के चूल्हे से भिन्न चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से आहारादि निष्पन्न कर जीवन निर्वाह करता है। यदि वह उस आहार में से निम्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को देता है तो उन्हें लेना नहीं कल्पता है / 11. सागारिक का स्वजन सागारिक के घर के बाह्य विभाग में सागारिक के ही चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से आहार निष्पन्न कर उससे जीवन निर्वाह करता है / यदि वह उस पाहार में से निर्ग्रन्थ-निर्गन्थियों को देता है तो उन्हें लेना नहीं कल्पता है / 12. सागारिक का स्वजन सागारिक के घर के बाह्यविभाग में सागारिक के चूल्हे से भिन्न चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से आहार निष्पन्न कर उससे जीवननिर्वाह करता है। यदि वह उस पाहार में से निर्ग्रन्थ-निम्रन्थियों को देता है तो उन्हें लेना नहीं कल्पता है। 13. सागारिक का स्वजन सागारिक के घर के भिन्न गृहविभाग में तथा एक निष्क्रमण-प्रवेश द्वार वाले गह में सागारिक के ही चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से आहार निष्पन्न कर उससे जीवन निर्वाह करता है / यदि वह उस आहार में से निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को देता है तो उन्हें लेना नहीं कल्पता है / 14. सागारिक का स्वजन सागारिक के घर के भिन्न गृहविभाग में तथा एक निष्क्रमण-प्रवेशद्वार वाले गृह में सागारिक के चूल्हे से भिन्न चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से आहार निष्पन्न कर उससे जीवन निर्वाह करता है। यदि वह उस आहार में से निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को दे तो उन्हें लेना नहीं कल्पता है। 15. सागारिक का स्वजन सागारिक के गृह के विभिन्नगृहविभाग में तथा एक निष्क्रमणप्रवेश-द्वार वाले गृह के बाह्य भाग में सागारिक के चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से पाहार निष्पन्न कर उससे जीवननिर्वाह करता है / यदि वह उस आहार में से निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों को देता है तो उन्हें लेना नहीं कल्पता है। 16. सागारिक का स्वजन सागारिक के गृह के भिन्न गृह विभाग में तथा एक निष्क्रमण-प्रवेशद्वार वाले गृह के बाह्यभाग में सागारिक के चूल्हे से भिन्न चूल्हे पर सागारिक की ही सामग्री से आहार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org