________________ चौथा उद्देशक आचार्यादि के साथ रहने वाले निर्ग्रन्थों की संख्या 1. नो कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स एगाणियस्स हेमन्त-गिम्हासु चारए / 2. कप्पइ पायरिय-उवज्झायस्स अप्पबिइयस्स हेमन्त-गिम्हासु चारए / 3. नो कप्पइ गणावच्छेइयस्स अप्पबिइयस्स हेमन्त-गिम्हासु चारए / 4. कप्पइ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स हेमन्त-गिम्हासु चारए / 5. नो कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स अप्पबिइयस्स वासावासं वत्थए / 6. कप्पइ प्रायरिय-उवज्झायस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए / 7. नो कप्पइ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए / 8. कप्पड गणावच्छेइयस्स अप्पच उत्थस्स वासावासं वत्थए / 9. से गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा बहूणं पायरिय-उधज्झायाणं अप्पबिइयाणं, बहूर्ण गणावच्छेइयाणं अप्पतइयाणं कप्पड हेमंत-गिम्हासु चारए, अन्नमन्नं निस्साए / 10. से गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा बहूणं आयरिय-उवज्झायाणं अप्पतइयाणं, बहूणं गणावच्छेइयाणं अप्पचउत्थाणं कप्पइ वासावासं वत्थए अन्नमन्नं निस्साए / 1. हेमन्त और ग्रीष्म ऋतु में प्राचार्य या उपाध्याय को अकेला विहार करना नहीं कल्पता है। 2. हेमन्त और ग्रीष्म ऋतु में प्राचार्य या उपाध्याय को एक साधु को साथ लेकर विहार करना कल्पता है। 3. हेमन्त और ग्रीष्म ऋतु में गणावच्छेदक को एक साधु के साथ विहार करना नहीं कल्पता है। 4. हेमन्त और ग्रीष्म ऋतु में गणावच्छेदक को दो अन्य साधुओं को साथ लेकर विहार करना कल्पता है। 5. वर्षाकाल में प्राचार्य या उपाध्याय को एक साधु के साथ रहना नहीं कल्पता है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org