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७. महानवखते सत्ततारे पण्णते।
८. कत्तिमाइया सत्त नक्खत्ता पुवदारिमा पण्णत्ता।
७. मघा नक्षत्र के सात तारे प्रज्ञप्त हैं। ८. कृत्तिका आदि सात नक्षत्र पूर्वद्वारिक
प्रज्ञप्त हैं।
६. महाइया सत्त नवखत्ता दाहिरण
दारिमा पण्णत्ता।
९. मघा आदि सात नक्षत्र दक्षिण
द्वारिक प्रज्ञप्त हैं।
१०. अणुराहाइया सत्त नक्खत्ताप्रवर
दारिमा पण्णता।
१०. अनुराधा आदि सात नक्षत्र अपर/
पश्चिमद्वारिक प्रज्ञप्त है।
११. षणिठाइयासतनक्खत्ता उत्तर-
दारिया पण्णता।
११. धनिष्ठा आदि सात नक्षत्र उत्तर
द्वारिक प्रज्ञप्त है।
१२. इमीसे गं रयणप्पहाए पुढवीए
प्रत्येगइयाणे नेरइयाणं सत्त पलिप्रोवमाई ठिई पण्णता।
१२. इस रत्नप्रभा पृथ्वी पर कुछेक
नैरयिकों की सात पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
१३. तच्चाए रणं पुढवीए नेरइयारणं , उक्कोसेणं सत्तसागरोवमाई ठिई
पण्णत्ता।
१३. तीसरी पृथिवी [वालुकाप्रभा] पर
कुछेक नरयिकों की उत्कृष्टतः सात सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
१४. चउत्योए णं पुढवीए नेरइयाणं
जहण्णणं सत्त सागरोवमाई ठिई , पण्पत्ता। .
१४. चौथी पृथिवी [पंकप्रभा] पर
नरयिकों की जघन्यतः/न्यूनतः सात सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
१५. कुछेक असुरकुमार देवों की सात
पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
१५. असुरकुमाराणं देवाणं प्रत्येगइ-
याणं सत्त पलिनोवमाई ठिई
पण्णत्ता। १६. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु प्रत्येगइ
यारणं देवारणं सत्त पलिप्रोवमाई ठिई पण्णत्ता।
१६. सौधर्म-ईशान कल्प में कुछेक देवों
की सात पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
१७. सणंकुमारे कप्पे अत्थेगइयाणं
देवारणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता।
१७. सनत्कुमार कल्प में देवों की उत्कृष्टतः
सात सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
समवाय-मुक्तं
समवाय-सुतं
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समवाय-७