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एवामेव सपुत्वावरेणं अट्ठासीइ सुत्ताई भवंति त्ति मक्खायं ।
इस प्रकार इन सवका योग करने पर अठासी सूत्र होते हैं ।
३. मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरस्थिमिल्लापो चरिमंतानो गोथुभस्स आवासपव्वयस्स पुरत्यिमिल्ले चरिमंते, एस णं अठासीइं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे पण्णत्ते।
३. मन्दर पर्वत के पूर्वीय चरमान्त से गोस्तूप आवास-पर्वत के पूर्वीय चरमान्त का अवाधतः अन्तर अठासी हजार योजन का प्रज्ञप्त है।
४. मदरस्स णं पव्वयस्स दक्खिणिल्लामो चरिमंतायो दोभासस्स आवासपवयस्स दाहिणिल्ले चरिमंते, एस रणं अट्ठासीइं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णते।
४. मन्दर पर्वत के दक्षिणी चरमान्त
से दकावभास आवास-पर्वत के दक्षिणी चरमान्त का अवाघतः अन्तर अठासी हजार योजन का प्रज्ञप्त है।
५. मंदरस्सरणं पन्वयस्स पच्चस्थिमिल्लायो चरिमंतानो संखस्स आवासपव्वयस्स पच्चथिमिल्ले चरिमंते, एस णं अवासीई जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ।
५. मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से शंख आवास-पर्वत के पश्चिमी चरमान्त का अवाधतः अन्तर अठासी हजार योजन का प्रज्ञप्त है।
६. मंदरस्स णं पन्वयस्स उत्तरिल्लाओ चरिमंतानो दगसोमस्स आवासपब्वयस्स उत्तरिल्ले चरिमंते, एस णं अट्ठासीई जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णते।
६. मन्दर पर्वत के उत्तरी चरमान्त से दकसीम आवास-पर्वत के उत्तरी
चरमान्त का अवाधतः अन्तर __ अठासी हजार योजन का प्रज्ञप्त है।
७. वाहिरानो एं उत्तराप्रो कट्ठामो
सूरिए पढमं छग्मासं अयमीणे चोयालीसइममंडलगते अट्ठासीइ
७. वाह्य उत्तर से दक्षिण की ओर गति
करते हुए प्रथम छह माह में सूर्य चवालीसवें मण्डल में पहुंचने पर
समवाय-सुत्त
समवाय-८८