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अठासिवां समवाय १. प्रत्येक चन्द्र और सूर्य के अठामीअठासी महाग्रहों का परिवार प्रज्ञप्त
अट्ठासीइइमो समवाओ १. एगमेगस्स णं चंदिमसूरियस्स
अट्ठासीई-अट्ठासोई महागहा परिवारो पण्णत्तो। २. दिट्टिवायस्स णं अट्ठासीई सुत्ताई पण्णत्ताई, तं जहाउज्जुसुयं परिणयापरिणयं बहभंगियं विजयचरियं अणंतरं परंपरं सामाणं संजहं संभिण्णं पाहच्चायं सोवत्थियं घंटे नंदावत्तं बहुलं पुट्ठापुढे वियावत्तं एवंभूयं दुयावत्तं वत्तमाणुपयं समभिरुढं सध्वनोभई पण्णासं दुप्पडिग्गह। इच्चेइयाई वावीसं सुत्ताई छिण्णच्छेयनइयाणि ससमयसुत्त परिवाडीए ।
२. दृष्टिवाद के सूत्र अठासी प्रज्ञप्त है ।
जैसे किऋजुसूत्र, परिणतापरिणत, बहुभंगिक, विजयचरित, अनन्तर, परापर, सामान, संयूथ, संभिन्न, यथात्याग, सौवस्तिकघंट, नन्दावत, बहुल, पृष्टापृष्ट, व्यावत, एवंभूत, द्वयावर्त्त, वर्तमानपद, समभिरूढ, सर्वतोभद्र, पन्यास, दुष्प्रतिग्रह ।
ये बाईस सूत्र स्व-समय-परिपाटी के अनुसार छिन्नछेद-नयिक होते हैं ।
ये बाईस सूत्र आजीवक-परिपाटी के अनुसार अछिन्नछेद-नयिक होते है।
इच्चेइयाइं बावीसं सुत्ताई अच्छिपणच्छेयनइयारिण आजीवियसुत्तपरिवाडीए। इच्चेइयाई वावीसं सुताई तिगनइयाणि तेरासियसुत्त परिवाडीए।
ये वाईस सूत्र त्रैराशिक-परिपाटी के अनुसार त्रिक-नयिक होते हैं ।
इच्चेइयाई बावीसं सुत्ताई चउक्कनइयाणि ससमयसुत्तपरिवाडीए।
ये वाईस सूत्र स्व-समय-परिपाटी के अनुसार चतुष्क-नयिक होते हैं ।
समवाय-सुत्तं
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समवाय-८८