Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 301
________________ गोयमा ! इत्थिवेया पुरिसवेया, णो पसगवेया जाव थणिय त्ति। गौतम! स्तनितकुमार तक स्त्रीवेद होते हैं, पुरुषवेद होते हैं, किन्तु नपुंसकवेद नहीं होते। ७४. पुढवि-प्राउ-तेउ-वाउ-वणप्फइ बि-ति-चरिदिय - संमुच्छिमपंचिदियतिरिक्ख - समुच्छिममणुस्सा पसगवेया। ७४. पृथ्वी, अप, तेजस्, वायु, वनस्पति, द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, सम्मूच्छिम पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च, सम्मूच्छिम मनुष्य-ये नपुसकवेद होते हैं। ७५. गम्भवक्कंतियमणुस्सा पंचेंदिय तिरिया यतिवेया। ७५. गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य और पंचे न्द्रिय तिर्यच तीनों वेद वाले होते हैं। ७६. जैसे असुरकुमार हैं, वैसे ही वान मंतर, ज्यौतिष्क और वैमानिक भी हैं। ७६. जहा असुरकुमारा तहा वाण मंतरा जोइसिया वेमाणियावि। ७७. ते रणं काले रणं ते णं समए रणं कप्पस्स समोसरणं यन्वं जाव गणहरा सावच्चा निरबच्चा वोच्छिण्णा । ७७. उस काल और उस समय में 'कल्प' के अनुसार समवसरण, गणधर, सापत्यों (शिष्य-सन्तान-युक्त) एवं निरपत्यों (शिष्य-सन्तान-रहित शेप सभी) की व्युच्छिन्नता ज्ञातव्य है। ७८. जंबुद्दीवे एवं दीवे भारहे चासे तीयाए प्रोसप्पिणीए सत्त कुलगरा होत्था, तं जहामित्तदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपमे। विमलघोसे सुघोसे य, महाघोसे य सत्तमे ॥ ७६. जंबुद्दीवे , दीवे भारहे वासे । तीयाए उस्सप्पिणीए दस कुल गरा होत्या, तं जहा ७८. जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में अतीत अवसर्पिणी में सात कुलकर हुए थे, जैसे कि१. मित्रदाम, २. सुदाम, ३. सुपार्श्व, ४. स्वयंप्रभ, ५. विमलघोष, ६. सुघोष ७. महाघोष । ७६. जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में अतीत उत्सपिणी में दस कुलकर हुए थे, जैसे कि-- समवाय-सुत्तं २८१ समवाय-प्रकीर्ण

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