Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 299
________________ ५६. गम्भवक्कंतियमणुस्सा छविह- संघयणी पण्णत्ता। ५६. गर्भोपक्रान्तिक मनुष्यों के छह प्रकार के संहनन होते हैं। ५७. जहा असुरकुमारा तहा वाण मंतरा जोइसिया वेमाणिया य । ५७. जैसे असुरकुमार हैं, वैसे ही वान मंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक ज्ञातव्य है । ५८. कइविहे रणं भंते ! संठाणे पण्णते ? गोयमा! छविहे संठाणे पण्णत्ते, तं जहासमचउरसे णग्गोहपरिमंडले साती खुज्जे वामणे हुंडे । ५८. भंते ! संस्थान छह प्रकार के प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! संस्थान छह प्रकार के प्रज्ञप्त हैं। जैसे कि१. समचतुरस्र, २. न्यग्रोधपरिमण्डल, ३. सादि, ४. कुन्ज, ५. वामन, ६. हुण्ड । ५६. रइया णं भंते ! कि संठाणा पण्णता? गोयमा! हुंडसंठाणा पण्णत्ता। ५६. भंते ! नैरयिक किस संस्थान वाले प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! हुण्ड संस्थान वाले प्रज्ञप्त ६०. असुरकुमारा कि संठाणसंठिया पण्णता? गोयमा ! समचउरस-संठाणसंठिया पण्णत्ता जावथणियत्ति । ६०. मंते ! असुरकुमार किस संस्थान से संस्थित प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! समचतुरस्र संस्थान से संस्थित प्रज्ञप्त हैं। स्तनितकुमार तक ऐसा ही है। ६१. पुढवी मसूरयसंठाणा पण्णत्ता। ६१. पृथ्वी के जीव मसूरक-संस्थान वाले प्रज्ञप्त हैं। ६२. अपकायिक जीव स्तिवुक/जल-बूद ___ संस्थान वाले प्रज्ञप्त हैं । ६२. पाऊ थियसंठाणा पण्णत्ता। ६३. तेऊ सूइकलावसंठाणा पण्णत्ता। ६३. तेजस्कायिक जीव मूचीकलाप (सूइयों के पुजवत) के संस्थान वाले प्रज्ञप्त हैं। समवाय-सुत्त ૨૭૯ समवाय-प्रकीर्ण

Loading...

Page Navigation
1 ... 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322