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८. मिथिलापुरी और ६. हस्तिना
कायंदी कोसंवी, मिहिलपुरी हत्यिणपुरं च॥
१०७. इन नौ वासुदेवों के निदान करने
के नौ कारण थे, जैसे कि
१०७. एतेसि गं नवण्हं वासुदेवाणं
नव नियाणकारणा होत्या, तं जहा१. गावो जुवे य संगामे, इत्यी पराइयो रंगे। भज्जाणुराग गोट्ठी, परइड्री माउया इय॥
१. गाय, २.चूत, ३. संग्राम, ४. स्त्री, ५. रण में पराजय, ६. भार्यानुराग, ७. गोष्ठी, २. पर-ऋद्धि, ६. माता ।
१०८. इन नी वासुदेवों के नौ प्रतिशत्रु
थे। जैसे कि--
१०८. एएसि णं नवण्हं वासुदेवाणं
नव पडिसतू होत्या, तं। जहा१. अस्सग्गीवे तारए,
मेरए महकेढवे निसुमे य । बलि पहराए तह, .
रावणे य नवमे जरासंधे ॥ २. एए खलु पडिसत्त, कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं। सवे वि चक्कजोही, सवे वि हया सचक्केहि ॥
१.अश्वग्रीव, २. तारक, ३. मेरक, ४. मधुकैटभ, ५. निशुभ, ६. बलि, ७. प्रभराज, ८. रावण, ६. जरासंघ । ये कीर्तिपुरुष वासुदेवों के प्रतिशत्रु थे, सभी चक्र-योधी थे और सभी अपने ही चक्र से मारे गए।
१०६. १. एक्को य सत्तमाए,
पंच यछट्ठीएपंचमा एक्को। एक्को य चउत्योए, कण्हो पुण तच्चपुढवीए॥
२. अणिदाणकडा रामा, सन्वेवि य केसवा
नियाणकडा । उड्ढंगामी रामा, केसव सव्वे अहोगामी ॥
१०९. मरणोपरान्त एक [ वासुदेव ]
सातवीं पृथ्वी में, पांच छट्ठी पृथ्वी में, एक पांचवी पृथ्वी में, एक चौथी पृथ्वी में और कृष्ण तीसरी पृथ्वी में गए। सभी राम/बलदेव अनिदानकृत होते हैं, सभी केशव/वासुदेव निदानकृत होते हैं, सभी राम ऊर्ध्वगामी होते हैं और सभी केशव अधोगामी होते हैं।
समवाय-प्रकीर्ण
समवाय-सुत्तं
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