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८६. समणे भगवं महावीरे तित्य.
गरमवग्गहणालो 'छठे पोट्टिलभवग्गहणे एगं वासकोडि सामण्णपरियागं पाउणित्ता सहसारे कप्पे सव्वळे विमाणे देवत्ताए उववण्णणे।
६. श्रमण भगवान् महावीर तीर्थकर
भवग्रहण से [पूर्व] छठे पोटिलभव-ग्रहण में एक करोड़ वर्ष तक श्रामण्यपर्याय पालकर महबार देवलोक में सर्वार्थ विमान में देवत्व से उपपन्न हुए।
८७. उससिरिस्स भगवनो चरि
मस्स य महावीरवद्धमाणस्सएगा सागरोवमकोडाकोडी प्रवाहाए अंतरे पण्णत्त ।
७. भगवान् श्री ऋपभ से चरम [नीर्थंकर महावीर वर्द्धमान का अवावतः अन्तर एक कोड़ाकोड़ी मागरोपम प्राप्त है।
मनवाय-गुन
समयाय-गुन
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समवाय-अतोनर