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गोयमा ! दुविहे पण्णत्तेएगिदिय-वेउब्वियसरीरे यपचिदियवेउब्वियसरीरे य।
गौतम ! दो प्रकार का प्रज्ञप्त है-एकेन्द्रिय वैक्रिय-शरीर और पञ्चेन्द्रिय-वैक्रिय-शरीर ।
२६. एवं जाव सणंकुमारे पाढतं जाव
प्रणुत्तरा भवधारणिज्जा तेसि रयणी रयणी परिहायइ ।
२६. इस प्रकार सनत्कुमार कल्प से
लेकर अनुत्तर विमानों तक भवधारणीय शरीर हैं, जिनकी अवगाहना एक-एक रनि कम होती
३०. आहारयसरीरे णं भंते! कइ-
विहे पण्णते?
३०. भंते ! आहारक शरीर कितने
प्रकार का
गोयमा ! एगागारे पण्णते।
गौतम ! एक आकार वाला प्रज्ञप्त है।
जइ एगागारे पण्णत्ते, कि मणुस्समाहारयसरीरे ? अमणस्समाहारयसरीरे?
[भंते ! ] यदि एक आकार वाला प्रज्ञप्त है, तो क्या वह मनुष्यग्राहारक-शरीर है या अमनुष्यआहारक-शरीर ?
गोयमा ! मणुस्साहारयसरीरे, णो प्रमणुस्समाहारगसरीरे ।
गौतम ! वह मनुष्य आहारकशरीर है, अमनुप्य-आहारक-शरीर
नहीं।
जइ मणुस्समाहारयसरीरे, कि गम्भवतियमणुस्समाहारगसरीरे ? समुच्छिममणुस्सपाहारगसरीरे ?
[भंते ! ] यदि मनुष्य-आहारकशरीर है, तो क्या वह गर्भोपक्रान्तिक-मनुष्य-आहारक-शरीर है या सम्मूच्छिम-मनुण्य-पाहारक-शरीर
गोयमा! गम्भवतियमणुस्सप्राहारयसरीरे नो समुच्छिममगुस्समाहारयसरीरे ।
गौतम ! वह गर्भोपक्रान्तिकमनुप्य-आहारक-शरीर है, सम्मूच्छिम - मनुष्य - आहारक शरीर नहीं।
समपाय-मुन्तं
समवाय-प्रकीर्ण