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३६. भंते ! लेश्याएं कितनी प्रज्ञप्त हैं ?
३६. कइ णं भंते ! लेसानो
पण्णत्तानो ? गोयमा ! छ लेसानो पण्णतामो, तं जहाकिण्हलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा । एवं लेसापयं भणियव्यं ।
गौतम ! लेश्याएँ छह प्रज्ञप्त हैं, जैसे किकृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजस्लेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या । इस प्रकार लेश्यापद ज्ञातव्य है।
४०. भंते ! क्या नैरयिक अनन्तर
आहार करते है तदन्तर निवर्तन, पर्यादान, परिणमन, परिचारण, और विक्रिया करते हैं ?
४०. नेरइया णं भंते ! अणंतराहारा
तो निव्वत्ताणया तो परियाइयणया तो परिणामणया तग्रो परियारणया तो पच्छाविफुटवणया ? हंता गोयमा ! नेरइया णं अणंतराहारा तो निव्वत्तणया तो परियाइयणया तो परिणामणया तो परियारणया तो पच्छा विकुटवणया। एवं आहारपदं भणियध्वं । अणंतरा य पाहारे, आहाराभोगणाऽवि य । पोग्गला नेव जाणंति, अज्झवसाणा य सम्मत्ते ॥
हाँ, गौतम ! नरयिक अनन्तर आहार, तदनन्तर निर्वर्तन, पर्यादान, परिणमन, परिचारण और विक्रिया करते हैं। इस प्रकार आहार-पद ज्ञातव्य है ।
[आहार के द्वार-] अनन्तर आहार, आभोग आहार, अनाभोग पाहार, पुद्गलों को नहीं जानना, अध्यवसान और सम्यक्त्व।
४१. कइविहे गं भंते ! आउगबंधे
पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे पाउगबंधे पण्णत्ते, तं जहाजाइनामनिधत्ताउके गतिनामनिधत्ताउके ठिइनामनिधत्ताउके पएसनामनिधत्ताउके अणुभाग
४१. भंते ! आयुष्क-बंध कितने प्रकार
का प्रज्ञप्त है ? गौतम ! आयुष्क-बंध छह प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे कि१. जातिनामनिधत्त/व्याप्त आयुष्क २. गतिनामनिधत्त आयुष्क, ३. स्थितिनामनिवत्त आयुष्क, ४.
समवाय-सुत्त
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समचाय-प्रकीर्ण