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संख्येय हैं, नियुक्तियां संख्येय
वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जानो निज्जुत्तीयो। से णं अंगट्टयाए पढमे अंगे दो सुयक्खंधा पणवीसं अज्झयणा पंचासीइं उद्देसणकाला पंचासीइं समुद्देसरणकाला अट्टारस पयसहस्साई पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा अणंता गमा अणंता पज्जवा । परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिवद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ताभावाप्राधविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जति दसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति ।
वह अङ्ग की अपेक्षा से प्रथम अंग है। इसके दो श्रुतस्कंच, पचीस अध्ययन, पचासी उद्देशन-काल, पचासी समुद्देशन काल, पद-प्रमाण से अठारह हजार पद, संख्येय अक्षर, अनन्त पर्याय हैं।
इसमें परिमित बस जीवों, अनन्त स्थावर जीवों तथा शाश्वत, कृत, निवद्ध और निकाचित जिन-प्रजप्त भावों का आख्यान किया गया है, प्रज्ञापन, किया गया है, प्ररूपरण किया गया है, दर्शन किया गया है, निदर्शन किया गया है, उपदर्शन किया गया है। यह आत्मा है, जाता है, विज्ञाता है, इस प्रकार इसमेंचरण-करण-प्ररूपणा का आख्यान किया गया है, प्रज्ञापन किया गयाहै, प्ररूपण किया गया है, दर्शन किया गया है, निदर्शन किया गया है, उपदर्णन किया गया है। यह है वह आचार।
स एवं आया एवं पाया एवं विण्णाया एवं चरण - करणपरूवणया प्रायविज्जति पण्णविज्जति पहविज्जति दसिज्जति निदेसिज्जति उवदंसिज्जति । सेत्तं पायारे ।
३. से कि तं भूयगटे? सूयगडे णं ससमया सूइज्जति परसमया सूइज्जति ससमयपरसमया मूइज्जति जीवा सूइज्जति प्रजोवा सूइज्जति जीवाजीवा मूइज्जति लोगे मूइज्जति
३. वह मूत्रकृत क्या है ?
मूत्रकृत में स्व-समय की सूचना दी गई है, पर-समय की सूचना दी गई है, स्व-समय-पर-समय की सूचना दी गई है, जीवों की सूचना दी गई है, अजीवों
मम्पाय-मन
समवाय-द्वादशांग