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५. छण्हं कम्मपगडीणं प्राइमउवरिल्लवज्जाणं सत्तासीइं उत्तरपगडीओ पण्णत्तानो।
५. प्रादि [जानावरण] और अन्तिम
[अन्तराय] की कर्म-प्रकृतियों को छोड़कर शेष छह कर्म-प्रकृतियों की सत्तासी उत्तर-प्रकृतियां प्रजप्त हैं।
६. महाहिमवंतकूडस्स णं उवरि
लामो चरिमंतानो सोगधियस्स कंडस्स हेदिल्ले चरिमंते, एस णं सत्तासीइं जोयरणसयाई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते।
६. महाहिमवंत कूट के उपरितन चर
मान्त से सौगंधिक काण्ड के अधस्तन चरमान्त का अवाधतः अन्तर सत्तासी मौ योजन का प्रज्ञप्त है।
७. एवं रुप्पिकूडस्सवि।
७. इसी प्रकार रुक्मीकूट का भी।
समवाय-सुत्तं
समवाय-८७