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सतोत्तर-समवानो
शतोत्तर-समवाय
१. चंदप्पभे णं अरहा दिवड्ढे
घणुसयं उड्ढं उच्चत्तेणं
१. अर्हद चन्द्रप्रभ ऊंचाई की दृष्टि से
डेढ़ सौ धनुष ऊँचे थे।
होत्था।
२. पारणे कप्पे दिवड्ढे विमाणा. वाससयं पण्णते।
२.पारण कल्प में डेढ़ सौ विमानावास प्रज्ञप्त हैं।
३. एवं अच्चुएवि।
३. इसी प्रकार अच्युत कल्प में भी।
४. सुपासे णं अरहा दो घणुसयाई
उड्ढं उच्चत्तेणं होत्या। ५. सव्वेवि गं महाहिमवंतरुप्पीवास
हरपव्वया दो दो जोयणसयाई उड्ढे उच्चतेणं, दो दो गाउय
सयाई उन्वेहेणं पण्णता। ६. जंबुद्दीवे णं दीवे दो कंचणपन्च
यसया पण्णत्ता।
४. अर्हत् सुपार्श्व ऊँचाई की दृष्टि से
दो सौ धनुप ऊंचे थे। ५. सर्व महाहिमवंत और रुक्मी वर्षघर पर्वत ऊँचाई की दृष्टि से दोदो सौ योजन ऊंचे और दो-दो सौ गाउ उद्वेधवाले/गहरे प्रज्ञप्त हैं। ६. जम्बूद्वीप द्वीप में दो सौ कंचन
पर्वत प्रज्ञप्त हैं।
७. पउमप्पमेणं अरहा अढाइज्जाई धणुसयाई उड्ढे उच्चतेणं होत्था।
७. अहंद पद्मप्रभ ऊँचाई की दृष्टि से ढाई सौ धनुष ऊंचे थे। .
८. असुरकुमाराणं देवाणं पासायवडेंसगा अड्डाइज्जाई जोयरसयाई उड्ढं उच्चत्तणं पण्णता।
८. असुरकुमार देवों के प्रासादावतंसक ऊँचाई की दृष्टि से ढाई
सौ योजन ऊंचे प्रज्ञप्त हैं। ६. अर्हद सुमति ऊंचाई की दृष्टि से
तीन सौ धनुष ऊंचे थे।
६. सुमई णं अरहा तिपिण घणु
सयाई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था।
समवाय-सुत्तं
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समवाय- शतोत्तर