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बाणउइइमो समवाश्रो
१. बाणउई पडिमा पण्णत्ताओ ।
२. थेरे णं इंदभूई बाणउई वासाई सव्वाउय पालइत्ता सिद्ध बुद्ध मुत्ते अंतगडे परिणित्वडे सवदुक्खप्प होणे ।
३. मंदरस्स णं पव्वयस्स बहुमज्झदेस भागाश्री गोयुभस्स प्रावासपव्वयस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते, एस णं वारणउई जोयरणसहस्साई अवाहाए पते ।
अंतरे
४. एवं चण्उर्हपि श्रावासपव्वयाणं ।
समवाय- सुतं
बानवेवां समवाय
१. प्रतिमाएँ वानवें प्रज्ञप्त हैं ।
२. स्थविर इन्द्रभूति वानवें वर्ष की सर्वायु पालकर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त, अन्तकृत, परिनिर्वृत तथा सर्व दुःखमुक्त हुए ।
३. मन्दर पर्वत के बहुमध्यदेशभाग से गोस्तूप आवास पर्वत के पश्चिमी चरमान्त का प्रवाद्यतः अन्तर बानवें हजार योजन का प्रज्ञप्त है ।
४. इसी प्रकार चार श्रावास पर्वतों का भी [ प्रज्ञप्त है । ]
समवाय - ६२