________________
चोयालीसइमो समवायो १. चोयालोसं अज्झयणा इसिभासिया दियलोगचुयाभासिया पण्णत्ता।
चौवालीसवां समवाय १. देवलोक से च्युत / अवतरित
[ऋपियों] द्वारा भापित 'ऋपिभापित' के चवालीस अध्ययन प्रज्ञप्त हैं।
२. विमलस्स णं अरहतो चोयालीसं
पुरिसजुगाई अणुपट्टि सिद्धाई बुद्धाई मुत्ताई अंतगडाइं परिणिन्वुयाई सन्वदुक्खप्पहीणाई।
२. अर्हत् विमल के चौवालीस पुरुपयुग
अनुक्रमशः सिद्ध, बुद्ध, मुक्त,अन्तकृत, परिनिर्वृत तथा सर्व दु:ख-रहित हुए।
३. धरणस्स णं नागिदस्स नागरण्णो
चोयालीसं भवरणावाससयसहस्सा पण्णत्ता।
३. नागराज नागेन्द्र धरण के चौवालीस
शत-सहस्र/लाख भवनावास प्रज्ञप्त
४. महालियाए णं विमाणपविभत्तीए
चउत्थे वग्गे चोयालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ते ।
४. महती-विमान-प्रविभक्ति के चौथे वर्ग में चीवालीस उद्देशन-काल प्रज्ञप्त
समवाय-सुत्तं
१३८
समवाय-४४