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अडयालीसइमो समवाश्रो
१. एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्क वट्टिस्स डयालीसं पट्टणसहस्सा पण्णत्ता |
२. घम्सस्स णं अरहो अडयालीसं गणा डाली गहरा होत्या ।
३. सूरमंडले णं अडपालीसं एकसट्ठिभागे जोयणस्स पण्णत्ते ।
विक्खंभेरगं
समवाय-सुतं
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अड़तालीसवां
समवाय
१. प्रत्येक चातुरंत चक्रवर्ती के अड़ता लीस हजार पत्तन प्रज्ञप्त हैं ।
२. अर्हत् धर्म के अड़तालीस गरण और ड़तालीस गणधर थे ।
३. सूर्यमण्डल का एक योजन के इकसठ भागों में से अड़तालीस भाग-परिमित (योजन ) विष्कम्भ / विस्तार प्रज्ञप्त है ।
समवाय- ४८