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उन्यासिवां समवाय
एगरणासीइमो समवायो १. वलयामुहस्स णं पायालस्स हेछिल्लानो चरिमंतानो इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए हेठिल्ले चरिमंते, एस णं गगूणासीई जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते।
१. वडवामुख पाताल के अधस्तन चर
मान्त से इस रत्नप्रभा पृथ्वी का अधस्तन चरमान्त का अवाघत: अन्तर उन्यासी हजार योजन प्रज्ञप्त है।
२. एवं केउस्सवि जूयस्सवि ईसर- स्सवि।
२. इसी प्रकार केतु, यूप और ईश्वर
का भी।
३. छठ्ठीए पुढवीए बहुमज्झदेसभायाो छठ्ठस्स घणोदहिस्स हेठिल्ले चरिमंते, एस णं एगणासीति जोयणसहस्साई प्रवाहाए अंतरे पण्णते।
३. छठी पृथ्वी के बहुमध्यदेशभाग से
छठे घनोदधि के अधस्तन चरमान्त का अवाधतः अन्तर उन्यासी हजार योजन प्रज्ञप्त हैं।
४. जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बारस्स य बारस्स य एस गं एगणासीई जोयणसहस्साई साइरेगाई अबाहाए अंतरे पण्णते।
४. जम्बूद्वीप-द्वीप के प्रत्येक द्वार का
अवाधतः अन्तर उन्यासी हजार योजन से कुछ अधिक प्रज्ञप्त हैं।
समवाय-सुसं.
समवाय-७४