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एगसट्ठिमो समवाश्रो
१. पंचसवच्छ रियस णं जुगस्स रिदुमासेणं मिज्जमाणस्स एगसट्ठि उदुमासा पण्णत्ता ।
२. मंदरस्स णं पव्वयस्स पढमे कंडे एगसट्ठिजोयणसहस्साइं उच्चणं पण्णत्ते ।
उड़
३. चंदमंडलेगं
विमाइए समंसे पण्णत्ते ।
४. एवं सूरस्सवि ।
एगसट्ठिविभाग
समवाय-सुतं
इकसठवां समवाय
१. ऋतुमास के परिमाण से पंचसांवत्सरिक युग के इकसठ ऋतुमास प्रज्ञप्त हैं ।
१५७ .
२. मन्दर पर्वत का प्रथम काण्ड ऊँचाई की दृष्टि से इकसठ हजार योजन ऊँचा प्रज्ञप्त है ।
३. चन्द्रमण्डल योजन के इकसठवें भाग से विभाजित होने पर समांश प्रज्ञप्त है ।
४. इसी प्रकार सूर्य भी [ ज्ञातव्य
है । ]
समवाय - ६१