________________
छावठिमो समवाश्र
१. दाहिणड्ढमगुस्सखेत्ता णं छा चंदा पमासु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा, छाट्ठ सूरिया विसु वा तवेंति वा तविस्संति
वा ।
२. उत्तरड्ढमणुस्तखेत्ता णं छाट्ठ चंदा पभासेंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा, छावट्ठ सूरिया विसु वा तवेंति वा तविस्संति
वा ।
३. सेज्जंसस्स णं श्ररहन छाट्ठ गरणा छाट्ठ गणहरा होत्या ।
रणं
४. आभिणिबोहियनाणस्स उक्कोसेरगं छाट्ठ सागरोवमाइं
ठिई पण्णत्ता |
समवाय-सुत्त
१६२
छासठवां समवाय
१. दक्षिणार्द्ध मनुष्य क्षेत्र को छासठ चन्द्र प्रकाशित करते थे, प्रकाशित करते हैं और प्रकाशित करेंगे । इसी प्रकार छासठ सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे ।
२. उत्तरार्द्ध मनुष्य-क्षेत्र को छासठ चन्द्र प्रकाशित करते थे, करते हैं और प्रकाशित करेंगे । इसी प्रकार छामठ सूर्य तपते थे, तपते हैं और पेगे ।
३. प्रत् श्रेयांस के छासठ गण और छासठ गणधर थे ।
४. आभिनिवोधिक ज्ञान की उत्कृष्टतः छासठ सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है ।
समवाय-६६