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सट्ठिमो समवायो १. एगमेगे णं मंडले सूरिए सहिए-
सहिए मुहुत्तहि संघाएइ । २. लवणस्त णं समुहल्स सर्टि नाग
साहस्सोयो अग्योदयं धारेंति ।
साठवां समवाय १. मूर्य एक-एक मंडन को साठ-साठ
मुहूत्तों से संघात पूर्ण करता है।
२. लवरण-समुद्र के अनोदक/जलशिता
को साठ हजार नाग धारण करते
३. विमले णं अरहा सट्टि धणूई
उड्डं उच्चत्तणं होत्या। ४. बलिस्स णं वइरोणिदस्स सढि
सामाणियसाहस्सीग्रो पण्णत्तानो।
३. अर्हत् विमल ऊंचाई की दृष्टि से
ना० धनुष ऊँचे थे। ४. वैरोचनेन्द्र बली के साठ हजार
नामानिक देव प्राप्त हैं।
५. देवराज देवेन्द्र ब्रह्म के साठ हजार
सामानिक देव प्रजप्त हैं।
५. बंभस्स णं देविदास देवरणो
ठि सामाणियसाहस्सीनो पण्णत्तानो। ६. सोहम्मीसाणेसु-दोसु कप्पेतु
सढि विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता।
६. सौधर्म व ईशान-दो कल्पों में साठ शत-सहस्र/लाख विमानावात प्रज्ञप्त
___समवाय-सुत्त
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समवाय-६०
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