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पण्णासइमो समवाओ
पचासवां समवाय
१. मुणिसुब्वयस्स गं अरहनो पंचासं
अज्जियासाहस्सोलो होत्या।
१. अर्हत् मुनिसवत के पचास हजार
आर्यिकाएँ/साध्वियां थीं।
२.अणते गं अरहा पण्णासं धई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्या।
२. अर्हत् अनन्त ऊँचाई की दृष्टि से
पचास धनुप ऊँचे थे।
३. पुरिसोत्तमे णं वासुदेवे पण्णासं धणई उड्ढे उच्चत्तणं होत्या।
३. वासुदेव पुरुषोत्तम ऊँचाई की दृष्टि
से पचास धनुप ऊँचे थे।
४. सव्वेवि णं दोहयेयड्ढा मूले
पण्यासं-पण्णासं जोयरपाणि धिक्संभणं पण्णत्ता।
४. सर्व दीर्घ-वैताढ्य पर्वत मूल में
पचास-पचास योजन विष्कम्भक/ चौड़े प्रज्ञप्त हैं।
५. लतए कप्पे पण्णासं विमाणावाससहस्सा पण्पत्ता।
५. लान्तक कल्प में पचास हजार विमानावास प्रशप्त हैं।
६. सन्वानो णं तिमिस्सगुहाखंड
गप्पवायगुहानो पण्णासं-पण्णासं जोयणाई प्रायामेणं पण्णत्ता ।
६. सर्व तमिस्रगुफाएँ एवं खंडप्रपातगुफाएं पचास-पचास योजन आयाम की लम्बी प्रज्ञप्त हैं।
७. सव्वेवि णं कंचणगपव्वया सिहर
तले पण्णासं• पण्णासं जोयणार्ड विक्खंभेणं पण्णत्ता।
७. सभी कांचनक-पर्वत शिखरतल पर पचास-पचास योजन विष्कम्भक/ चौड़े प्रज्ञप्त हैं।
समवाय-सुतं
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समवाय-५०