________________
११. ईपत्-प्राग्भार पृथिवी के बारह नाम
प्रज्ञप्त हैं। जैसे कि--- ईपत्, ईपत्-प्राग्भार, तनु, तनुतरी, सिद्धि, सिद्धालय, मुक्ति, मुक्तालय, ब्रह्म, ब्रह्मावतंसक, लोक-प्रतिपूरणा और लोकानचूलिका।
११. ईसिपम्भाराए णं पुढवीए दुवालस
नामधेज्जा पण्णता, तं जहा -- ईसित्ति वा ईसिपम्मारत्ति वा तणूइ वा तणुयतरित्ति वा सिद्धित्ति वा सिद्धालएति वा मुत्तीति वा मुत्तालएत्ति वा बभेत्ति वा वंभवडेंसएति वा लोकपडिपूरणेत्ति वा लोगग्ग
चूलिपाई वा। १२. इमीसे रणं रयगप्पहाए पुढवीए
प्रत्येगइयारणं नेरइयारणं वारस
पलिप्रोवमाई ठिई पण्णता। १३. पंचमाए पुढवीए अत्थेगइयाणं
नेरइयारणं बारस सागरोवमाइं
ठिई पण्णता। १४. असुरकुमाराणं देवाणं प्रत्येगइ-
याणं बारस पलिनोवमाई ठिई
पण्णता। १५. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु प्रत्येगह
याणं देवाणं वारस पलिप्रोवमाई
ठिई पण्णत्ता। १६. संतए कप्पे प्रत्येगइयाणं देवाणं
वारस सागरोवमाई ठिई
पण्णत्ता। १७. जे देवा महिदं महिंदमयं कंबु कंबुग्गीयं पुखं सुखं महापुवं पुंडं सुपुंड महानुडं नरिदं नरिंदकंतनरिंदुत्तरयोसगं यिमाणं देवताए उपवण्णा, तेसि एं देवाणं उक्कोसेणं बारस सागरीवमाई ठिई पाता।
१२. इस रत्नप्रभा पृथिवी पर मुछक
नरयिकों की बारह पल्योपम स्थिनि
प्रज्ञप्त है। १३, पांचवी पृथिवी [मप्रभा ] पर
कुछेक नरयिकों की बारह सागरोपम
स्थिति प्राप्त है। १४. कुछेक असुरकुमार देवों की बारह
पल्योपम स्थिति प्राप्त है।
१५. सौधर्म-ईशान कल्प में कुछेक देवों
की बारह पत्यांगम स्थिति प्रशान
१६. लान्तक कल्प में कुछक देवों को
बारह सागरोपम स्थिति प्राप्त है।
१७. जो देव माहेन्द्र, माहेन्द्रध्वज, पाम्यु,
कम्वुग्रीव, पुर, मुग, महापुर, पुड, सुपुट, महापुर, नगेन्द्र, नरेन्द्रकान्त और नरेन्द्रोत्तरायतंसक विमान में देवत्व में उपपन्न है, उन देवारी उत्कृष्टतः बारह मागपम रिशान प्राप्त है।
ममवाय-मुतं
ममयाव-१२