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३. दुवालसावत्तै कितिकम्मे पण्णत,
तं जहादुोरणयं जहाजायं,
कितिकम्मं बारसावयं । चसिरं तिगुत्त च,
दुपवेस एगनिक्खमण ॥
कृति-कर्म / वन्दन-क्रिया-विधि के बारह आवर्त प्रज्ञप्त है। जैसेकि। दो अवनत, यथाजात कृतिकर्म, 'बारह प्रावत, चार शिर, तीन गुप्ति, दो प्रवेश और एक निष्क्रमण ।
४. विजया णं रायहाणी दुवालस
जोयरणसयसहस्साइं आयामविखंभेणं पण्णत्ता।
विजया राजधानी वारह शंत
महस्र/बारह लाख योजन आयाम' विष्कम्भक/विस्तृत प्रजप्त है ।
५. रामे णं बलदेवे दुवालस वाससयाइं सवाउयं पालिता देवत्तं गए।
. बलदेव राम ने बारह सौ वर्ष की मम्पूर्ण आयु पालकर देवत्व प्राप्त किया।
६. मंदरस्स णं पच्चयस्स चूलिया
मूले दुवालस जोयणाई विक्खमेणं पणरणत्ता ।
1. मन्दर-पर्वत की चूलिका का मूल। भाग वारह योजन विष्कम्भक/चौड़ा
प्रज्ञप्त है।
७. जंबूदीवस्स णं दोवस्स वेइया मूले दुवालस जोयणाई विक्खभेणं पण्णत्ता।
७. जम्बुद्वीप-द्वीप की वेदिका मूल में
बारह योजन विष्कम्भक / चौड़ी । प्राप्त है।
८. सध्वजहण्णिमा राई दुवालसमुहुत्तिना पण्णता।
5. सर्व जघन्य/सबसे छोटी रात्रि बारह । मुहूर्त की प्रज्ञप्त है।
६. सव्वजण्णिम्रो विवसो दुवालस
मुहुत्तिनो पण्णत्तो। १०. सव्वसिद्धस्स गं महाविमाणस्स
उवरिल्लानो भिन्नग्गामो दुवालस जोयगाई उड्ढं उम्पतिता ईसिपमारा नामं पुढवी पण्णत्ता।
६. सर्व जघन्य/सबसे छोटा दिवस बारह , मुहूर्त का प्रज्ञप्त है । ... सर्वार्थसिद्ध महाविमान की ऊपरीतल
स्नूपिका से बारह योजन ऊपर ईषत्-प्राग्भार नामक पृथिवी प्रज्ञप्त
समवाय-१२
समवाय-सुत्तं
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