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• सेहे राइणियस्स खर्द्ध-खद्धं
वत्ता भवति - आसायणा
सेहस्स ।
२०.
२१. सेहे राइणियस्स 'कि' ति वइत्ता भवति श्रसायणा सेहस्स ।
२२. सेहे राइणियं 'तुम'ति वत्ता भवति - श्रसायणा सेहस्स ।
२३. सेहे राइणियं तज्जाएण
पडिभणित्ता
तज्जाएण
भवइ - आसाणा सेहस्स ।
२४. सेहे राइणियस्स कहं कहे
माणस्स ' इति एवं 'ति वत्ता भवति - श्रासायणा
सेहस्स ।
न
२५. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स 'नो सुमरसी 'ति वत्ता भवत्ति - श्रसायणा सेहस्स ।
२६. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स कहं श्रच्छदित्ता भवति - श्रसायणा सेहस्स । २७. सेहे राइणियस्स कहं कहे परिसं माणस्स भेत्ताभवति - प्रसारणा सेहस्स । २८. सेहे राइणियस्स कहं कहे
माणस्स तीसे परिसाए अणुट्ठिताए अभिन्नाए प्रवृच्छिनए अव्वगडाए दोच्चं पि तमेव कहं कहित्ता भवति - आसाणा सेहस्स ।
समवाय-मुत्तं
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२०. शैक्ष रालिक को 'खाओ-खाओ' ऐसी उपेक्षरणीय बात बोलता है, यह शैक्ष-कृत प्राशातना है । २१. शैक्ष रानिक को 'क्या है'
शैक्ष- कृत
ऐसा बोलता है, यह आशाता है ।
२२. शैक्ष रानिक को 'तू' कहता है, यह शैक्ष-कृत प्राशातना है ।
२३. शैक्ष रात्निक को उन्हीं के कहे
में कह देता यह शैक्ष- कृत
हुए को प्रत्युत्तर
है - चिड़ाता है, प्रशातना है ।
२४. शैक्ष रात्निक कथा को 'ऐसा ही है, नहीं कहता', यह शैक्षकृत प्राशातना है ।
२५. शैक्ष रान्निक को कथा कहते समय 'यह भी स्मरण नहीं है'ऐसा कहता है, यह शैक्ष-कृत आशाता है ।
२६. शैक्ष रात्निक द्वारा कही जा रही कथा को रोकता है, यह शैक्ष-कृत प्रशातना है । २७. शैक्ष रात्निक द्वारा कथा कहते समय परिषद् को भंग करता है, यह शैक्ष-कृत शातना है । २८. शैक्ष रानिक द्वारा 'कथा कहते समय परिषद् के अनुत्थित, अमित्र, अव्यवच्छिन्न, अव्याकृत अभंग रहने पर दूसरी बार उसी कथा को कहता है, यह शैक्ष- कृत प्राशातना है ।
समवाय- ३३