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श्रट्ठतीसइमो समवाश्रो
१. पासस्स णं प्ररहश्रो पुरिसादाणीयस्स श्रद्वतीसं अज्जियासाहस्सोप्रो उक्कोसिया अज्जियासंपया होत्या ।
२. हेमवत - हेरण्णवतियाणं जीवाणं धणुपट्ठे श्रद्वतीसं जोयर सहसाइं सत्तय चत्ताले जोयणसए दस एगुणवीसइभागे जोयणस्स किचिविसेसूणे परिक्खेवेणं
पण्णत्ते ।
३. प्रत्यस्स णं पव्वयण्णो वितिए कंडे प्रतीसं जोयणसहस्साई उड्ढं उच्चतेणं पण्णत्ते ।
४. खुड्डियाए णं विमाणपविभत्तीए fare वग्गे प्रतीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता ।
समवाय-सुत
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अड़तीसवां समवाय
१. पुरुषादानीय अर्हत् पार्श्व की साध्वीसम्पदा अड़तीस हजार साध्वियों की थी ।
२. हैमवत और हैरण्यवत की जीवा के धनुःपृष्ठ का अड़तीस हजार सात सौ चालीस योजन और योजन के उन्नीस भागों में से दस भाग ( ३८७४०१ योजन ) से कुछ विशेष न्यून प्रज्ञप्त है ।
३. पर्वतराज अस्त / मेरु का द्वितीय काण्ड ऊँचाई की दृष्टि से अड़तीस हजार योजन ऊँचा है ।
४. क्षुद्रिका - विमान - प्रविभक्ति के द्वितीय वर्ग में अड़तीस उद्देशन-काल प्रज्ञप्त
हैं ।
समवाय-३८