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पैंतीसवां समवाय
पणतीसइमो समवायो १. पणतीसं ___सच्चवयणाइसेसा पण्णत्ता।
१. सत्य-वचन के अतिशेप / अतिशय पैतीस प्रजप्त हैं।
२. कुंथू णं अरहा पणतीसं घणई
उड्ढं उच्चत्तणं होत्था।
२. अर्हत् कुन्यु ऊँचाई की दृष्टि से पैतीस धनुप ऊंचे थे।
३. दत्ते णं वासुदेवे पणतीसं धणूई
उड्ढे उच्चत्तणे होत्था।
३. वासुदेव दत्त ऊंचाई की दृष्टि से
पैंतीस धनुप ऊँचे थे।
४. नंदणे यं बलदेवे पणतीसं धण्इं
उड्ढं उच्चत्तेणं होत्या।
४. वलदेव नन्दन ऊंचाई की दृष्टि से
पैतीस धनुप ऊँचे थे।
५. सोहम्मे कप्पे सुहम्माए सभाए माणवए चेइयक्खंभे हेठा उरि घ अद्धतेरस-बद्धतेरस जोयणाणि वजेत्ता मज्झे पणतीसं जोयणेसु वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु जिण-सकहानो पण्णताओ।
५. सौधर्म कल्प की सुधर्मा सभा में माणवक चैत्यस्तम्भ के नीचे और ऊपर साढ़े बारह योजनों को छोड़कर मध्य के पैंतीस योजन में वज्रमय गोलवृत्त में जिन/अर्हत की अस्थियां
६.वितियचउत्थीसु-दोसु पुढवीसु पणतीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता।
६. दूसरी और चौथी-इन दो पृथ्वियों
में पैतीस शत-सहस्र / लाख नरकावास है।
समवाय-तुक्त
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समवाय-३५