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पण्णरसमो समवायो
पन्द्रहवां समवाय
१. पण्णरस परमाहम्मिश्रा पण्णत्ता,
तं जहाअंबे अंबरिसी चेव,
सामे सबलेत्ति यावरे । रुद्दोवरुद्दकाले य,
___महाकालेत्ति यावरे ॥ असिपत्ते धणु कुम्भे,
वालुए वेयरणीति य। खरस्सरे महाघोसे,
एमेते पण्णरसाहिबा ॥
१. परमाधार्मिक देव पन्द्रह प्रज्ञप्त हैं ।
जैसे किअम्ब, अम्बरिषी, श्याम,शवल, रुद्र, उपरुद, काल, महाकाल, असिपत्र, धनु, कुम्भ, वालुका, वैतरणी, खरस्वर और महाघोप ।
२. अर्हत् नमि ऊँचाई की दृष्टि से पन्द्रह
धनुष ऊँचे थे।
२. णमी णं परहा पण्णरस धणूई
उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था। ३. धुवराहू णं बहुलपक्खस्स पाडिवयं
पण्णरसइ भागं पण्णरसइ मागेणं चंदस्स लेसं पावरेत्ता णं चिट्ठति, तं जहापढमाए पढम भाग, बीमाए बीयं भागं, तइनाए तइयं भागं, चउत्थीए चउत्थं मागं, पंचमीए पंचम भाग, छट्ठीए छट्ठभागं, सत्तमीए सत्तमं भाग, अट्ठमीए अट्टमं भागं, नवमीए नवमं भाग, दसमीए दसमं भागं, एक्कारसीए एक्कारसमं भार्ग, बारसीए बारसमं भागं, तेरसीए तेरसमं भाग, चउद्दसीए चउद्दसमं मागं, पण्णरसेसु पण्णरसमं भागं ।
३. ध्रुवराहु बहुल-पक्ष/कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से चन्द्र लेश्या के पन्द्रहवेंपन्द्रहवें भाग का आवरण करता है । जैसे किप्रथमा/प्रतिपदा को प्रथम भाग, द्वितीया को दो भाग, तृतीया को तीन भाग, चतुर्थी को चार भाग, पंचमी को पांच भाग, षष्ठी को छह भाग, सप्तमी को सात भाग,अष्टमी को आठ भाग, नवमी को नौ भाग, दशमी को दश भाग, एकादशी को ग्यारह भाग, द्वादशी को बारह भाग, त्रयोदशी को तेरह भाग, चतुर्दशी को चौदह भाग, पंचदशी/अमावस्या को पन्द्रह भाग का प्रावरण करता है ।
समवाय-सुत्तं
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समवाय-१५