________________
६. एवं चेव नेरइयेवि, नारणतं अप्प
सत्यविहायगइनामं हुंडसंठाणनामं अथिरनामं दुभगनाम असुभनामं दुस्सरनामं प्ररणादेज्जनाम अजसोकित्तीनामं ।
६ इसी प्रकार नैरयिक भी [विविध
अट्ठाईस कर्म-प्रकृतियों का बंध करता है। अस्थिरनाम, दुर्भगनाम, अशुभनाम, दुःस्वरनाम, अनादेयनाम, अयश कीत्तिनाम और निर्माणनाम ।
७. इस रत्नप्रभा पृथिवी पर कुछेक नरयिकों को अट्ठाईस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
८. अधोवर्ती सातवीं पृथिवी [महातमः
प्रभा] के कुछेक नैरयिकों की अट्ठाईस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है ।
६. कुछेक असुरकुमार देवों की अट्ठाईस
पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
७. इमोसे गं रयणप्पहाए पुढवीए
अत्यगइयाणं नेरइयाणं अट्ठावीसं पलिप्रोवमाई ठिई पण्णता। ८. अहेसत्तमाए पुढचीए प्रत्येगइयाणं नेरयाणं अट्ठावीसं सागरो
वमाई ठिई पण्णता। ६. असुरकुमाराणं देवाणं प्रत्येगइ-
याणं अट्ठावीसं पलिप्रोवमाई
ठिई पण्णता। १०. सोहम्मीसाणेस कप्पेसु देवाणं
अत्येगइयाणं अट्ठावीसं पलिश्रो
माई ठिई पण्णता। ११. उवरिम-हेडिम-गेवेज्जगाणं देवाणं
जहणेणं अट्ठावीसं सागरोवमाई
ठिई पण्णत्ता। १२. जे देवा मन्झिम-उवरिम-गेवेज्ज-
एसु विमारणेसु देवत्ताए उववण्णा, तेसि रणं देवाणं उक्कोसेणं अट्ठावीसंसागरोवमाइं ठिई पपपत्ता।
१०. सौधर्म-ईशान कल्प में कुछेक देवों
की अट्ठाईस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त
११. उपरिम-अधस्तन ग्रैवेयक देवों की
जघन्यतः/न्यूनतःअट्ठाईस सागरोपम
स्थिति प्रज्ञप्त है। १२. जो देव मध्यम-उपरिम विमानों में
उपपन्न हैं, उन देवों की उत्कृष्टतः अट्ठाईस सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त
१३. ते णं देवा अठ्ठावीसाए अद्धमा-
सेहि प्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ।
१३. वे देव अट्ठाईस अर्धमासों/पक्षों में
आन/आहार लेते हैं, पान करते हैं, उच्छ वास लेते हैं, निःश्वास छोड़ते हैं।
88
समवाय-२८
समवाय-सुत्तं