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३. सम्वेवि गंधणोदही वीसं जोयण-
सहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ता।
३. समस्त घनोदधिवातवलयों का बाहुल्य वीस हजार योजन प्रज्ञप्त
४. पाणयस्स णं देविदस्स देवरण्णो वीसं सासाणिप्रसाहस्सोमो पण्णतायो।
४. प्राणत देवराज देवेन्द्र के सामानिक
देव वीस हजार प्राप्त है ।
५. नपुंसक वेदनीय कर्म का बीस कोटा
कोटि स्थिति-वन्ध प्रज्ञप्त है।
५. णपुंसयवेयणिज्जस्स णं कम्मरस वीसं सागरोवमकोडाकोडीसो बंधनो बंघठिई पण्णत्ता। ६. पच्चक्खाणस्स णं पुवस्स वीसं
वत्थू पण्णत्ता। ७. प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणिमंडले वीसं सागरोवम-कोडाकोडीनो कालो पण्णत्ता।
६. प्रत्याख्यान पूर्व के वस्तु/अधिकार
वीस प्रज्ञप्त है। ७. उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी-मंडल/ कालचक्र बीस कोटाकोटि सागरोपम काल परिमित प्राप्त है ।
८. इमोसे गं रयणप्पहाए पुढवीए
अत्थेगइयाणं नेरइयाणं वीस पलिपोवमाइ ठिई पण्णत्ता।
८. इस रत्नप्रभा पृथिवी पर कुछेक नरयिकों की बीस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
६. छट्ठीए पुढवीए प्रत्येगइयाणं नेरइयाणं वीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ।
६. छठी पृथिवी [तमःप्रभा] पर कुछेक ।
नरयिकों की बीस सागरोपम स्थिति।
प्रज्ञप्त है। १०. कुछेक असुरकुमार देवों की बीस
पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
१०. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइ-
याणं वीसं पलिनोवमाई लिई पण्णत्ता।
११. सौधर्म ईशान कल्प में कुछेक देवी
की बीस पल्योपम स्थिति प्राप्त है।
११. सोहम्मीसाणेसु कप्पेस प्रत्येगइ-
याणं देवाणं वीसं पलिग्रोवमाई
ठिई पण्णता। १२. पाणते कप्पे देवाणं उक्कोसेणं
वीस सागरोवमाइंठिई पण्णता।
१२. प्राणत कल्प में देवों की उत्कृष्टतः
बीस सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
समवाय-सुत्तं
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समवाय-२०