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१०. जे देवा हेट्ठिम-हेट्ठिम-गेवेज्जय-
विमाणेसु देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता।
१०. जो देव अधस्तन ग्रेवेयक विमान में
देवत्व से उपपन्न हैं, उन देवों की उत्कृष्टतः तेईस सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
११.ते गं देवा तेवीसाए अद्धमासेहि
पारगमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा।
११. वे देव तेईस अर्घमासों/पक्षों में पान/ ___ आहार लेते हैं, पान करते हैं, उच्छ् .
वास लेते हैं, निःश्वास छोड़ते है ।
१२. तेसि गं देवाणं तेवीसाए वास- १२. उन देवों के तेईस हजार वर्षों में
सहस्सेहिं प्राहारट्टे समुप्पज्जइ ।। ___आहार की इच्छा समुत्पन्न होती है ।
१३. संतेगइया भवसिद्धिया जीवा, जे तेवीसाए भवग्गहणेहि सिज्झिसंति बुझिसति मुच्चिस्सति परिनिन्वाइस्सति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ।
१३. कुछेक भव-सिद्धिक जीव हैं, जो
तेईस भव ग्रहण कर सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, मुक्त होंगे, परिनित होंगे, सर्वदुःखान्त करेंगे।
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समवाय-२३
समवाय-सुत्त