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८. अकम्मभूमियाणं मणुप्राणं दसविहा रुक्खा उवभोगत्ताए उवत्थिया पण्णत्ता, तं जहामत्तंगया य भिंगा, तुडिभंगा दीव जोय चित्तंगा। चित्तरसा मरिणअंगा, गेहागारा अणिगणा य॥
८. अकर्मभूमि/भोगभूमि में जन्मे मनुष्यों
के उपभोग के लिए उपस्थित वृक्ष दस प्रकार के प्रज्ञप्त हैं। जैसे किमद्यांग, भृग, तूर्याग, ज्योतिरंग, चित्रांग, चित्तरस, मण्यंग, गेहाकार और अनग्न ।
६. इमीसे णं रयणप्पहाए पुढवीए नेरइयाणं जहण्णणं दस वाससहस्साई ठिई पण्णत्ता ।।
६. इस रत्नप्रभा पृथ्वी पर कुछेक
नरयिकों की जघन्यत: दस हजार वर्ष स्थिति प्रज्ञप्त है।
१०. इमोसे णं रयणप्पाहए पुडवीए
प्रत्येगइयाणं नेरइयाणं दस पलिनोवमाइं ठिई पण्णता ।
१०. इस रत्नप्रभा पृथ्वी पर कुछेक
नरयिकों की दस पल्योपम स्थिति
प्रज्ञप्त है। ११. चौथी पृथिवी [ पंकप्रभा ] पर
दस लाख नारक-ग्रावास हैं। १२. चौथी पृथिवी की उत्कृष्टतः दस
सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
११. चउत्थीए पुढवीए दस निरया-
वाससयसहस्सा पण्णत्ता। १२. चउत्थीए पुढवीए नेरइयाणं
उकोसेणं दस सागरोवाइं ठिई
पण्णत्ता। १३. पंचमाए पुढवीए नेरइयाणं
जहण्णेणं दस सागरोवमाई ठिई
पण्णता। १४. असुरकुमाराणं देवाणं जहण्णण्णं
दस वाससहस्साई ठिई पण्णत्ता। १५. असुरिंदवज्जाणं भोमेज्जाणं
देवाणं जहण्णणं दस वाससहस्साई ठिई पण्पत्ता।
१३. पांचवी पृथिवी [ धूमप्रभा ] पर
नैरयिकों की जघन्यतः/न्यूनतः दस '
सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है। १४. असुरकुमार देवों की जघन्यतः/न्यूनतः
दस हजार वर्ष स्थिति प्रज्ञप्त है। १५. असुरेन्द्रों को छोड़कर भौमिज्ज/
भवनवासी देवों की जघन्यतः दस हजार वर्ष स्थिति प्रज्ञप्त है।
१६. असुरकुमारणं देवाणं प्रत्येगइ-
याणं दस पलिनोवमाई ठिई पण्णत्ता।
१६. कुछेक असुरकुमार देवों की दस
पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है ।
समवाय-सुत्तं
समवाय-१०