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सत्तमो समवायो
सातवां समवाय
१. सत्त भयट्ठाणा पण्णत्ता, तं
जहाइहलोगभए परलोगभए आदाणभए अकम्हाभए प्राजीवभए मरगभए असिलोगभए ।
१. भयस्थान सात प्रज्ञप्त हैं। जैसे किइहलोक-भय. परलोक-भय, आदानभय, अकस्मात्-भय, आजीव-भय, मरण-भय, अश्लोक/निन्दा-भय ।
२. सत्त समुग्धाया पण्पत्ता, तं जहावेयणासमुग्धाए कसायसमुग्घाए मारणतियसमुग्धाए वेउध्वियसमुग्धाए तेयसमुग्धाए आहारसमुग्घाए केवलिसमुग्धाए। ३. समणे भगवं महावीरे सत्त रय
णी उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था।
२. समुद्घात सात प्राप्त हैं । जैसे कि
वेदना-समुद्घात, कपाय-समुद्घात, मारणान्तिक-समुद्घात, वैक्रियसमुद्घात, आहारक-समुद्घात, केवलि-समुद्घात ।
३. श्रमण भगवान महावीर ऊँचाई की दृष्टि से सात रनिक/हाथ ऊँचे थे ।
४. सत्त वासहरपव्वया पण्णत्ता, तं
चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी मंदरे ।
४. इस जम्बुद्वीप द्वीप में वर्षधर पर्वत सात प्रज्ञप्त हैं। जैसे किक्षुल्लक, हिमवन्त, महाहिमवन्त, निषध, नीलवन्त, रुक्मी, शिखरी, मन्दर सुमेरु ।
५. सत्त वासा पण्णत्ता, तं जहा--
भरहे हेमवते हरिवासे महाविदेहे रम्मए हेरण्णवते एरवए ।
५. इस जम्बुद्वीप द्वीप में वास / क्षेत्र
सात प्रज्ञप्त है । जैसे किभरत, हैमवत, हरिवर्ष, महाविदेह, रम्यक, ऐरण्यवत, ऐरवत । ६.क्षीणमोह भगवान् मोहनीय कर्म का वर्जन कर सात कर्म-प्रकृतियों का वेदन करते हैं।
६. खोपमोहे रणं भगवं मोहणिज्ज- वज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ वेएई।
समवाय-सुत्तं
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समवाय-७