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प्रस्तावना । नौतियाक्यामृत और प्राचार्य श्रीमन्सोमदेवसरि ।
ग्रन्थ परिचय। 'नं तिवाक्यामृत संकृत वाङमय-वल्लरीका अनुपम व अतिशय सुगन्धित समन है । इसके रच. बिता भाचार्यप्रवर श्रीमत्सोमदेव मूरि है, जो कि उच्चकोटि के दार्शनिक, महाकवि, धर्माचार्य व राज. नैतिक बाभुत प्रकाएट विद्वान थे। इनका समय विक्रम की ११ वीं शताब्दो का प्रथम पाद है।
इस विशाल ग्रन्थरन में मानवीय जीवन स्तर को ऊंचे उठाने वाली धर्मनीति, अर्थनीति, समाजनौतिय विशेषरूप से विशुद्ध राजनीतिका विशद व मलित विवेचन है । अर्थात् मानव संसार को अपनी मर्यादाम स्थिर रखने वाले राज्य शासन एवं उसे पल्लवित, संवद्धित एवं सुरक्षित रखने वाले राजनैतिक
वों का इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गम्भीर विचार किया गया है, अतः मन्थन किये हुए नीति ममत कोइम सारभूत मुधा- ( अमृन ) पान से हमारे पाठक अवश्य सन्तान एवं आल्हादित होंगे। मंस्कृत गसमय व सत्र पद्धति मे लिग्ये हुये इस विशाल प्रन्थ में धर्म, अर्थ, काम वरिपडवर्ग-प्रभृति नाम पाले ३२ ममुद्दश-अध्याय है, एवं प्रत्येक समुदेश में 'यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः ॥१॥ धर्म: अमरेसविपरीतफल:' ॥२॥ इत्यादि क्रम से ५०, ११, १७, ७, भादि सब मिलाकर १५४० मन्त्र
तथा समुदेशों के नामों के अनुसार विषय निरूपित है। : . घेसे महत्वपूर्ण संस्कृत नैतिक ग्रन्थ रत्न का हिन्दी में अनुवादित होना स्वाधीनता-प्राप्त भारतीय ! बाधुनों के लिये विशेष उपयोगी था, अतः समाज व राष्ट्र के नैतिक जीवन पुष्प को विकसित करने के
दश्य से मैं ६ वर्ष की कठोर माधना के पश्चात् इसका अभूतपूर्व, सरल. विस्मृत ललित एवं भावपूर्ण हिन्दी अनुवाद १२५ पृष्ठों में पाठक पाठिका को भेंट कर सका हूँ ।
प्राचीन राजनैतिक साहित्य-- . राजनैतिक ग्रन्थों में से 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' जिसे २२०० वर्ष पहिले मौर्यवंशज सम्राट चन्द्र ग लये पाय चाणक्य ने बनाया था, राजनैतिक तत्वों से भोतप्रोत है: नन्दवंशका मूलोच्छेद
र उसके सिंहासन पर चन्द्रगुप्तको भारूद कराने वाले मार्य चाणक्य बड़े भारी राजनीतिक थे, उनकी राजनैतिक बहुत विद्वत्ता का प्रदर्शक यह 'अर्थशास्त्र' है : चाणक्य के पश्चान-कालीन एक और प्राचीन कामन्दक का नोनिसार' प्रन्थ उपलब्ध है। यह श्लोकबद्ध है, इसमें भी राजनैतिक तत्वो का अच्छा विश्लेषण है।
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