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२०. २५. १५]
हिन्दी अनुवाद मनमें पापकी धूल प्रवेश कर गयी। उसने अपनी भोषण छुरी निकाल ली, मानो गजके प्रति बूदा गण विश्व हो उठा हो ! उसके पीछे दौड़ता हुआ, गिरिराजकी तरह ऊंचा वह राजा फिसल कर गिर पड़ा, और अपने ही हायकी छुरीसे अंग कट जानेके कारण मरकर नरक गया। सुधोके शोकसे भग्न बन्धुवर्गमें हाहाकार मच गया । और भी तुम अपने वंशके चिल्लको सुनो। जो मानो रूपमें स्वयं कामदेव था, ऐसा बहुत पहले दण्डक नामका शत्रुओंको दण्डित करनेवाला, दण्ड धारण करनेवाला राजा था। उसका अन्यायसे रहित पुत्र ममिमाली अपने कुलरूपी आकाशका सूर्य था। हे देव, वह लम्बे समय तक धनराशिके ऊपर अपना हाथ फेरता हुआ
धत्ता-पुत्र और स्त्रीको अपने मनमें धारण कर और आतं ध्यानसे मरकर जिसमें विविध द्रव्य मार एकत्रित है एसे अपने भण्डार भरकर जमेर मा ।।४
૨૫ वह अपनी दाढ़ों और दांतोंसे दलन करता, जो घरमें प्रवेश करता उसे डसता । जिसमें चन्द्रकान्तमणिके जलसे रचित शिखरोंके अग्रभागसे स्नान किया जाता है, ऐसे भवन में प्रवेश करते हुए अपने पुत्र मणिमालिको, अपने पूर्वजन्मका स्मरण करनेवाले विषधरने देख लिया। उसने अपने फन गिराफर उसे अभयदान दिया। तब विद्याधर राजाके पुत्र मणिमालिने सोचा कि यह मेरा कोई 'पूर्वजन्मका सम्बन्धो है, नहीं तो मदान्ध यह मुझे क्यों नहीं काटता। फिर उसने जाकर मुनिसे पूछा । उन्होंने कहा, "राजा दण्डक असमाधिसे मरकर सांप हुआ है। क्या तुम अपने पिताको नहीं जानते ?" यह सुन प्रियके स्नेह और करुणासे कम्पिन मन राजपुत्रने अपने घर आकर, कर्मोका नाश करनेवाला, जिननाथका धर्म उससे कहा । उसे समझकर सौपने संन्याम ले लिया। मरकर वह स्वर्ग गपा, और उसका सपत्व चला गया। जिसने अपना पूर्वजन्म जान लिया है ऐसे उस देवने उत्सवके साथ गुरुपुजा की 1 आकर मणिमालाका हार दिया। नगर और देशने कथावतार जान लिया । वह हार आज भो तुम्हारे गले में है, मानो मेरुपर्वतके गले में तारा. समूह हो ।
घत्ता-यह सुनकर महाबलने पुष्पदन्तके समान अन्धकारको दूर करनेवाले कान्तिपय हारको देखकर हंसते हुए मन्त्रीका आलिंगन कर लिया ॥२५॥
इस प्रकार प्रेसठ महापुरुषों के गुणालकासे युक्त महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा रचित एवं महामध्य मस्त ड्वारा अनुमत महाकाम्बका वितण्डा पण्डिन
पुद्धि विग्वगडन नामका बीसवाँ परिच्छेद समाप्त हुआ।