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२८. ३१.६ ]
हिन्दी अनुवाद
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नाग-समूहको डरानेवाला प्रत्यंचाका अत्यन्त भयंकर शब्द हुआ। निर्धन और विधुरोंके विनाशमें समर्थ उसने स्वयं अपने हाथसे धनुष चढ़ाया। कौन-से मग्गण ( मांगनेवाले, और मार्गण = तीर ) लोहवन्त ( लोभसे युक्त, लोहे से सहित) नहीं होते, धमुज्झिय ( डोटीसे रहित और धर्मसे रहित ) कौन नहीं भीषण होते ? गुण ( डोरी और दयादि गुण ) से वर्जित कौन नहीं निष्ठुर होते ? पिच्छाचित ( पंख और पुंखसे सहित ) कौन नहीं नभचर होते ? चित्तविचित्त ( चित्तसे विचित्त और चित्र-विचित्र ) कौन नहीं चंचलतर होते ? मर्मका अन्वेषण करनेवाले ( वम्मणेसिय) कौन सन्तापदायक नहीं होते ? बुद्धिसे युक्त अपने दीप्तिसे भास्वर और सीधे कौन ( तीर और मुनि ) नहीं मोक्षको प्राप्त होते ? शत्रुकी देहके अंगोंमें प्रविष्ट हुए एक जयके ही तोर नहीं थे बल्कि दूसरे भी कामको जीतनेवाले थे । श्वर (धनुष और काम ) हो जिनका प्रवर आसन है। उनके लिए अपना लक्ष्य और विनाश दुर्गम नहीं है ।
पत्ता - अत्यन्त लम्बे और विषसे विषम मुखवाले तीरोंने समस्त आकाशको अवरुद्ध कर लिया, मानो जैसे नामोंने मिलकर एक क्षण में सुनमिके बलको खा लिया हो ||२९||
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कुंजर ज्वर के भावसे भाग खड़े हुए, तुरंग ( घोड़े ) तुरन्त यमके मार्गसे जा लगे । स्यन्दन बरछयों क्षत-विक्षत हो गये, बताओ सारथियोंके द्वारा वे कहाँ ले जाये जायें । तीखे खुरपोंसे छत्र छिन्नभिन्न हो गये । चिह्न चामर और वादित्रोंने भी सरजालसे चारों दिशाओंको बाच्छादित कर दिया और अपने समय से विद्याधरोंका अपहरण कर लिया। इस प्रकार दिशाबलि दी जाती हुई और नष्ट होती हुई अपनी सेनाको देखकर सुतभिने अन्धकारका बाण छोड़ा, उसने शत्रु परिवारको ढक लिया। वहाँ कोई भी कुछ नहीं देखता, कोई भी वाहन और हथियारों को नहीं चलाता । यहाँ-वहां लोग सहारा मांगने लगे। नेत्र अलसाने लगे, जम्हाइयां छोड़ने लगे । जैसे सैन्य नीले रंगमें डुबा दी गयी हो। जबतक लोग अभद्र नींदको प्राप्त होते, तबतक इस बोचमें दिनकर तीरसे दशों दिशाओंके पथोंको आलोकित करता हुआ मेघप्रभ विद्याधर स्थित हो गया । धत्ता--वह सारा अन्धकार नष्ट हो गया, अपने सुधियोंके मुख आलोकित हो उठे । विश्वमें सज्जनका संग मिलनेपर किसे सुख नहीं होता ||३०||
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मानो जलघर जलधरकी गति दूषित कर चला गया । इससे सुनम क्रोधसे भरकर दौड़ा। सुनमिने भयानक सिंह तीर छोड़ा, मेघप्रभने स्फुरितानन श्वापद तीर छोड़ा, सुनमिने जलता हुआ अग्नि तीर छोड़ा, मेघप्रभने जल बरसानेवाला मेघ तीर छोड़ा। सुनमिने गुफा सहित पर्वत तीर छोड़ा, मेघप्रभने वज्रसहित इन्द्र तीर छोड़ा, सुनमिने विषांकित महासर्प तीर छोड़ा, मेघप्रभने खगशिरोमणि गरुड़ तीर छोड़ा, सुनमिने महान् महोबर तीर छोड़ा, मेषप्रभने दुःसह