Book Title: Mahapurana Part 2
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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संधि ३५
ता पम्खु णिबंधिवि खेयरहं तिजेगुत्तिमलायण्णइ ॥ গৰ স্থিকিন্তবিবি ভিষপ্তধষজ্ঞ ঞ্চ
।
चंडकिरणकरविण्णालिंगणि पुच्छइ पृङ' गच्छंतु णहंगणि। कहसु सुहावइ कि सरयम्भई fण घरई पाहग्गणिसुंभई । किं दीसति बलायन एंतित णं ईधयमाल घोलंतिउ । किं सुरचाबई भदि विचित्तई णं णं पिय तोरणई पवित्तई। किं णवत्तई पंण रयणई मंदिरलग्गई णं पुरणयणई। किं गहु पहुधरगि णिसण्णसं णं णं णागणयरु विस्थिण्ण । देव णायबलु णा राणउ एत्यु षसइ बलवंतु अदीण । एम चवंतई बिण्णि वि तुरियाई __ जहिं जणु मिलियउ सहिं अवयरियई । पभणह पिययमु हलि किं जणवत्र कहा कुमारि एत्थु णिवसइ हरु। सहियदुसहससिलेहाविरह गंधवाहरुप्पयचित्तरहई । सो हरि धरहुँ ण जाइ गरिंदहु चंचलु मणु णावह कुमुर्णिदहु । घत्ता-णिहरियणयणु णिम्मंसमुह लक्खणलक्खविसिट्ठउ |
सुणिउम्भक्खुम्भमखुरु वियहरु राए हयवर दिट्टन ||१||
धाइट दुद्धर
खरखुरखयधर। मरगयणिइतणु कंपावियजेणु । हंबिरणयणन
भंगुरक्षयण। दसणभयंकर
अरिअमरिसहरू। भुवणविम
लिहिलिहिस। बहिरियदस दिसु
मग्गियरणमिसु। MB give, at the commencement of this Sandhi, the following stanza —
इति भरतस्य जिनेश्वरसामायिकशिरोमणेर्गुणान् अक्तुम् ।
मातुं च वाघितोयं चूलुकैः कस्यास्ति सामर्थ्यम् ॥ GK do not give it. १. १. MBK तिजगृत्तमं । २. MB पिङ । ३. MR बलायापति उ । ४. MB घयमालाच पुलंदिउ ।
५. MB पुररयणई। ६. B णिरियणपणु। २. १. MB खुरखयधर । २. M कंपावियतणु । ३. MB दंसणभयकर । ४. MBK हिलिहिलिस।

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