Book Title: Mahapurana Part 2
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 457
________________ XX 11 ] अँगरेजी टिप्पणियोंका हिन्दी अनुवाद ४५३ उसने संन्यासमरण से मरनेका निश्चय किया । मृत्युके बाद, वह ईशान स्वर्ग में उत्पन्न हुआ, ललितांगनाम देवके रूपमें | उसकी प्रेयसियाँ स्वयंप्रभा और कनकप्रभा भी थीं । 2, 12 जिनवरको जो कमल चढ़ाये जा रहे थे, उसने उनमें से एकको लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया । 4. 40 मुझे बताइए कि क्या महाबल भव्य है ? क्या वह संन्यासग्रहण करने लायक है ! या नहीं । 8. उसने यह इच्छा की कि उसे संन्यासी रीज मिले XXII, एक दिन ललितांग ने अपने शरीरपर पड़ी हुई मालाके फूल कुम्हलाये हुए देखे जो इस बातका संकेत था कि उसके जीवनका अन्स निकट आ पहुंचा है। वह बहुत भयभीत हुआ; उसे यह सलाह दी गयी कि उसे अपना अधिक से अधिक जीवन पवित्र कामीने बिताना चाहिए। तब वह जिनकी बन्दना करनेके लिए गया। समय बीतनेपर वह मरकर, वज्रबाहु राजाका वज्रजंध नामका पुत्र हुआ। जब वज्रजंघ धरतीपर बड़ा हो रहा था, उसकी प्रियलमा स्वयंप्रभा अपने पतिके निधनपर खुद्द रोयो, अपनी मृत्युके बाद वह वज्रदन्त राजाकी श्रीमती नामकी पुत्री हुई। उसकी मौ पुण्डरीक्रिणोकी रानी लक्ष्मीमती थी । एक दिन वह श्रीमती आधी नीदमें थी, उसने स्वप्न में देखा कि वह जिनदर्शनको जा रही है कि जिसमें कई देवता उपस्थित हो रहे हैं। उसे शोत्र हो अपने पूर्वभव और पूर्वपतिकी याद हो आयी और वह धरतीपर बेहोश गिर पड़ी। उसे शीघ्र होश में लाया गया और उसके अभिभावकोंको बुलाया गया । पिता शीघ्र समझ गये कि अन्या प्रेमासक्त है। इसलिए उसने एक चतुर धायकी देख-रेख में उसे रख दिया, यह पता लगाने के लिए कि वह किससे प्रेम करती है। इसी अवसरपर राजाको यह खबर मिली कि यशोधरको केवलज्ञान प्राप्त हुआ है। उसे आयुधशाला में चक्ररत्नकी प्राप्ति हुई है। राजा शीघ्र ही जिनकी बन्दना करने के लिए गया और इस कार्य के परिणामस्वरूप उसे अवधिज्ञान प्राप्त हो गया। वह घर माया और उसने कन्याको उसके पूर्वभव (स्वर्ग) की कहानी सुनायी। उसे यह कहकर आश्वासन दिया कि वह अपने पूर्वभव के प्रेमी से शीघ्र मिलेगी। इसके बाद, वह विश्व मात्राके लिए निकल पड़ा। एक दिन षायने, जो उसकी देख-रेख कर रही थी, उससे अपने मनकी बात बतानेके लिए कहा। इसपर श्रीमतीने उसे बताया कि वह तीसरे पूर्वभवमें एक गरीब व्यापारीकी निर्नामिका नामको सबसे छोटी कन्या थी। उसकी बड़े परिवार में कुल 10 सन्तानें थीं। एक दिन जब निर्नामिका जंगलसे लौट रही थी तो उसने कुछ फल तोड़े । उसने बहुत बड़ी भीड़को देखा, जो जिनकी बन्दना करने के लिए जा रही थी। वह भी वहाँ गयो, और उसने जिनकी वन्दना की और पूछा कि वह गरीब क्यों हुई ? इसपर जिनमुनिने बताया कि उसने पूर्व जन्म में एक मुनिपर कुत्तेका शव रखा था, परन्तु वह इससे अप्रभावित रहे, ठोसरे दिन दयाके कारण उन्होंने उस शवको हटा दिया । इस कृत्यके फलस्वरूप वह गरीब हुई है। इसके बाद जिनने उसे धर्मका सही स्वरूप बताया और उससे 150 उपवास करनेके लिए कहा कि जिससे वह इस पापसे मुक्त हो सके। उसने ऐसा ही किया । मृत्यु के बाद वह ईशान स्वर्ग में ललितांग की पत्नी हुई। उसकी मृत्युके छह माह बाद वह भी धरतीपर आयी और श्रीमतीकै रूपमें उत्पन्न हुई। ललियांगके प्रति अपने प्रेमकी याद करते हुए वह बेहोश हो गयी । अपने अतीत जोवनकी कहानीका वर्णन करनेके अनन्तर उसने ललितांगका चित्रपट बनाया और घायको देकर उसका पता लगानेके लिए कहा ।

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